गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार को महिसागर नदी पर बने 40 साल पुराने गंभीरा पुल के ढहने से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। हादसे के वक्त पुल पर कई वाहन और लोग मौजूद थे, जिनमें से 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कुछ लोग अब भी लापता हैं। घटना के बाद राहत और बचाव कार्य में तेजी लाई गई है, और एसडीआरएफ के साथ स्थानीय प्रशासन की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं।
हादसे के वक्त पुल पर भीड़, कई वाहन नदी में गिरे
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बुधवार सुबह पुल का एक बड़ा हिस्सा अचानक टूट गया। इस दौरान दो ट्रक, दो वैन, एक ऑटोरिक्शा और एक बाइक समेत कुल छह वाहन नदी में जा गिरे। हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में चीख-पुकार मच गई। कुछ लोग तैरकर बाहर निकलने में सफल रहे, जबकि कई लोग वाहन समेत नदी में फंस गए। मौके पर पहुंची राहत टीमों ने अब तक नौ लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है, जबकि पांच घायलों का इलाज अस्पताल में चल रहा है। प्रशासन का कहना है कि जब तक सभी लापता लोगों का पता नहीं चल जाता, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहेगा।
जर्जर पुल और प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
गंभीरा पुल का निर्माण 1985 में हुआ था और इसकी लंबाई लगभग 900 मीटर है। पुल की हालत पिछले कई वर्षों से खराब बताई जा रही थी, लेकिन इसके बावजूद भारी वाहनों की आवाजाही जारी रही। स्थानीय लोगों ने कई बार प्रशासन को पुल की जर्जर स्थिति के बारे में चेताया था, पर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हादसे के बाद प्रशासनिक लापरवाही को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुल की मजबूती की समय-समय पर जांच क्यों नहीं की गई।

Vadodara bridge collapse- प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
घटना के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी हादसे पर दुख जताया है। वडोदरा कलेक्टर अनिल धमेलिया ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्यों का जायजा लिया और जांच के आदेश दिए हैं। सड़क निर्माण विभाग को भी पुल के टूटने के कारणों की विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए हैं।