Bank minimum balance policy-अब ग्राहकों को राहत देते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) समेत छह बड़े बैंकों ने बचत खातों पर मिनिमम बैलेंस चार्ज पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब खाते में न्यूनतम राशि न होने या खाता खाली रहने पर भी कोई पेनल्टी नहीं लगेगी। इससे खासकर ग्रामीण और सीमित आमदनी वाले खाताधारकों को बड़ा फायदा मिलेगा। पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया भी इस फैसले में शामिल हैं। इससे बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और वित्तीय समावेशन को मजबूती मिलेगी।
कौन-कौन से बैंक शामिल, क्या है नई व्यवस्था
भारतीय स्टेट बैंक के अलावा जिन बैंकों ने यह सुविधा शुरू की है, उनमें पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। इन बैंकों ने अपने बचत खातों पर न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। पहले इन बैंकों में 500 से 3000 रुपये तक का मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी था, जो अब जरूरी नहीं रहा। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के खाताधारकों को राहत मिलेगी।
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Bank minimum balance policy update-ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा सकारात्मक असर
मिनिमम बैलेंस चार्ज खत्म होने से खासकर उन खाताधारकों को राहत मिलेगी, जिनकी आमदनी सीमित है या जो खाते का इस्तेमाल सिर्फ सब्सिडी, पेंशन या अन्य सरकारी लाभ के लिए करते हैं। पहले हर महीने खाते में न्यूनतम राशि न होने पर 50 से 150 रुपये तक चार्ज कट जाता था। अब इस व्यवस्था के खत्म होने से ग्राहकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा और वे बिना किसी डर के अपने खाते का संचालन कर सकेंगे।
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बैंकिंग सेक्टर में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा और वित्तीय समावेशन
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बैंकों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और अधिक लोग औपचारिक बैंकिंग सिस्टम से जुड़ेंगे। ग्रामीण इलाकों में अब लोग बिना किसी झिझक के बैंक खाता खुलवा सकेंगे। सरकार और रिजर्व बैंक भी लंबे समय से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं, ऐसे में यह कदम उस दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। बैंकिंग सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए यह एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।