भारत में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के नियम और प्रक्रिया को ‘असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) एक्ट, 2021’ के तहत नियंत्रित किया गया है। यह कानून जनवरी 2023 से पूरे देश में लागू है, जिससे IVF से जुड़ी पारदर्शिता, सुरक्षा और नैतिकता सुनिश्चित हो सके। इस एक्ट के तहत सभी IVF क्लीनिकों को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पास पंजीकृत होना अनिवार्य है। साथ ही, मरीजों की उम्र, पहचान और स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेजों की जांच भी जरूरी है।
किन राज्यों में IVF के लिए मंजूरी अनिवार्य
ART एक्ट के लागू होने के बाद देश के सभी राज्यों में IVF के लिए मंजूरी लेना अनिवार्य हो गया है। अब चाहे दंपती किसी भी राज्य में रहते हों, उन्हें IVF प्रक्रिया शुरू करने से पहले संबंधित प्राधिकरण या पंजीकृत क्लीनिक से अनुमति लेनी होगी। यह नियम उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे सभी प्रमुख राज्यों में लागू है। हर राज्य में स्वास्थ्य विभाग या ART रजिस्ट्रेशन बोर्ड के माध्यम से यह मंजूरी दी जाती है।
IVF के लिए पात्रता और दस्तावेज
IVF के लिए महिला की उम्र 21 से 50 वर्ष और पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच होना जरूरी है। दंपती को आधार कार्ड या सरकारी पहचान पत्र, विवाह प्रमाण पत्र (यदि विवाहित हैं), मेडिकल रिपोर्ट और अन्य जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं। सिंगल महिला भी IVF के लिए पात्र हैं, बशर्ते उनकी उम्र 21 वर्ष से अधिक हो और वे भारतीय नागरिक हों। सिंगल महिला को डोनर स्पर्म का इस्तेमाल करना होता है, जिसकी पूरी जानकारी ART बैंक में दर्ज होती है।
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IVF approval process in Indian-मंजूरी प्रक्रिया और निगरानी
मंजूरी के लिए दंपती या महिला को पंजीकृत IVF क्लीनिक में आवेदन करना होता है। क्लीनिक द्वारा सभी दस्तावेजों की जांच के बाद आवेदन को राज्य स्तरीय ART बोर्ड के पास भेजा जाता है। मंजूरी मिलने के बाद ही प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। इस दौरान क्लीनिक को हर कदम की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करनी होती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

नियमों का उल्लंघन और दंड
ART एक्ट के तहत नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और जेल तक की सजा का प्रावधान है। बिना मंजूरी या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर IVF प्रक्रिया करवाना गैरकानूनी है। सरकार ने IVF क्लीनिकों के लिए भी सख्त मानक तय किए हैं और पंजीकरण न होने पर क्लीनिक सील किए जा सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय और जागरूकता
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यवार मंजूरी की व्यवस्था से IVF प्रक्रिया अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बनी है। इससे फर्जी क्लीनिकों और अवैध गतिविधियों पर रोक लगी है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, ताकि दंपती सही जानकारी के साथ IVF प्रक्रिया में शामिल हो सकें।