Uttarkashi Dharali cloudburst disaster 2025-05 अगस्त 2025 की रात उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव पर प्रकृति ने विकराल रूप दिखाया। भीषण बारिश के बीच अचानक बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया। देखते-ही-देखते पहाड़ों से मलबे का बवंडर गाँव की तरफ आया। कई घर, होटल और दुकानें महज़ चंद मिनटों में मलबे में समा गईं। गाँव में हमेशा की तरह हलचल थी, लेकिन अचानक आई इस विपदा ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया।
अचानक आया संकट और अंधेरे में डूबा गाँव
घटना के चंद सेकेंड्स में ही नाले में ऐसा सैलाब आया कि लोगों के पास घर छोड़कर भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। तेज बहाव में कई मकान एक साथ बह गए। आसपास चीख-पुकार और अफरातफरी मच गई। जिस जगह पर कुछ ही देर पहले लोग आराम से बैठे थे, वहां अब सिर्फ मलबा और सन्नाटा रह गया।
MP में श्रम नियमों में संशोधन को मंजूरी, हड़ताल और तालाबंदी करने पर सख्ती!
बचाव अभियान की जद्दोजहद
मौका-ए-वारदात के कुछ ही देर बाद प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें पहुँच गईं। स्थानीय नागरिकों, सेना और रेस्क्यू कार्यकर्ता मिलकर लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं। जगह-जगह मलबे में दबे लोगों को निकालने की कवायद जारी है। कई घायलों को अस्थायी मेडिकल सेंटर्स तक पहुँचाया गया। गाँव में बिजली, पानी और सड़क सेवाएँ बुरी तरह बाधित हो गई हैं, जिसके कारण राहत कामों में काफी दिक्कत आई, लेकिन सबने मिलकर कड़ी मशक्कत की।
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद, चीन से Z-10ME हेलिकॉप्टर खरीदे|
मौसम की चेतावनी, हालात और बिगड़ने का खतरा
मौसम विभाग की चेतावनी ने संकट को और गहरा कर दिया। अगले कुछ दिनों तक और भारी बारिश की संभावना बनी रही, जिससे गाँववालों और प्रशासन की चिंता और बढ़ गई। प्रशासन ने खतरे को भांपते हुए आसपास के क्षेत्रों में स्कूल बंद कर दिए और लोगों को ऊंचे स्थानों पर ठहरने की सलाह दी। सर्च ऑपरेशन के लिए और टीमें बुलाई गईं।

गाँव में हिम्मत और उम्मीद का इम्तिहान
धराली के लोग पूरी त्रासदी के बावजूद हिम्मत नहीं हारे। कई लोगों ने मिलकर खुद के घर से मलबा हटाने और दुसरों को निकालने की कोशिश जारी रखी। युवा, महिलाएँ, बुज़ुर्ग—हर कोई अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाते हुए राहत कार्यों में मदद करता रहा। समाज में ऐसे समय पर दिखा यह एकजुट मानवीय रूप सबसे ज्यादा प्रेरक रहा।
परिवेश और जनजीवन पर असर
धराली सहित आस-पास के गाँव अभी भी डर और अनिश्चितता के साये में है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं। गाँव में राहत शिविर लगाए गए हैं। रातभर लाउड स्पीकर से प्रशासन ने हालात की जानकारी देने के साथ-साथ लोगों से सतर्क रहने की अपील की। दुकाने बंद, बाज़ार सुनसान, और घरों में भारी उदासी पसरी हुई है।
प्राकृतिक संकट और भविष्य
05 अगस्त 2025 धराली और पूरे उत्तरकाशी के इतिहास में हमेशा एक कड़ी चेतावनी के रूप में याद रहेगा। ऐसी घटनाएँ पहाड़ी इलाकों में बरसात के दौरान बार-बार सामने आती हैं, जिनसे निपटने के लिए अब प्रशासनिक व्यवस्था और स्थानीय जागरूकता बेहद आवश्यक है।
धराली के लोगों के अदम्य साहस, हिम्मत और इंसानियत के जज़्बे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मुसीबतें कितनी भी बड़ी हों, संयुक्त प्रयास और सहयोग से हर संकट का सामना किया जा सकता है।