लद्दाख के लोग अब यह चिंता करने लगे हैं कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद बाहरी लोग उनकी जमीनें खरीद सकते हैं और उनके प्राकृतिक संसाधनों पर कब्ज़ा कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने मांग की है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत शामिल किया जाए। इस अनुसूची के तहत स्थानीय स्वायत्त परिषदों को संवैधानिक अधिकार मिलेंगे, जो जमीन और संसाधनों पर स्थानीय नियंत्रण सुनिश्चित करेंगे और बाहरी लोगों द्वारा शोषण रोका जाएगा।
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छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता और शासन व्यवस्था
छठी अनुसूची का लाभ यह होगा कि लद्दाख में स्वायत्त जिला परिषदें बनेगी, जिनके पास भूमि, वन, जल संसाधन, शिक्षा, और सामाजिक रीति-रिवाजों से जुड़े कानून बनाने का अधिकार होगा। इन परिषदों की सहमति के बिना वहां के संसाधनों का दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। छठी अनुसूची के लागू होने पर स्थानीय लोग खुद के कानून और नियम बनाएंगे, जिससे उनकी संस्कृति और पहचान सुरक्षित रहेगी।
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स्थानीय रोजगार और शिक्षा के अवसर
छठी अनुसूची के तहत स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा और शिक्षा से जुड़े फैसले स्थानीय स्वायत्त परिषदें बनाएंगी। इससे लद्दाख के लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और विकास बरकरार रहेगा। यह कदम स्थानीय जनता को सशक्त बनाएगा और उन्हें अपने क्षेत्र के विकास में भागीदारी का मौका देगा।
बाहरी हस्तक्षेप पर रोक और पर्यावरण संरक्षण
लद्दाख के लोगों को इस बात का डर है कि बिना छठी अनुसूची के, बाहरी निवेशकों और लोगों का आगमन बढ़ेगा, जो उनकी जमीन, संसाधनों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। छठी अनुसूची होने से बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने और संसाधनों का दोहन करने पर प्रभावी रोक लगेगी। साथ ही यह नियम लद्दाख की संवेदनशील पारिस्थितिक स्थिति और पारंपरिक जीवनशैली की सुरक्षा करेगा।
 
 
 







