अमेरिका ने चीन से आयातित सामानों पर अतिरिक्त 100% शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जो कि पहले से लगाए गए 30% शुल्क पर आधारित होगा। इसका मतलब है कि कुल मिलाकर चीन से आने वाले सामानों पर लगभग 130% शुल्क लगेगा। यह नया शुल्क 1 नवंबर 2025 से लागू होगा और इसका उद्देश्य चीन की हाल ही में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात नियंत्रण की प्रतिक्रिया के रूप में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापारिक हितों की रक्षा करना है। इस नए कदम से दोनों देशों के मध्य व्यापार लगभग ठप हो सकता है, क्योंकि इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा होगा।
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हाल की व्यापारिक तनावों का कारण
चीन ने हाल ही में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जो कि इलेक्ट्रॉनिक, सैन्य और स्वचालित वाहन उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चीन द्वारा यह कदम व्यापार युद्ध को और अधिक तीव्र करने वाला माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिका इसे “अत्यंत आक्रामक” रणनीति मानता है। इस प्रतिबंध के जवाब में अमेरिका ने न केवल शुल्क बढ़ाए हैं, बल्कि सभी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर की निर्यात पर भी नियंत्रण लगाने की घोषणा की है। यह कदम दोनों देशों के बीच पहले से चले आ रहे तनाव को नई ऊँचाईयों तक ले गया है।
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प्रभावित उद्योग और उपभोक्ता
नई टैरिफ नीति से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला क्षेत्र प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग है, क्योंकि अमेरिका चीन से बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन, लैपटॉप, और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों के घटक आयात करता है। इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोजेक्ट्स की लागत भी बढ़ सकती है, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे उत्पाद खरीदने पड़ सकते हैं। यह शुल्क वृद्धि न केवल कंपनियों के उत्पादन खर्च में बढ़ोतरी करेगी बल्कि ग्राहकों के लिए भी महंगाई को बढ़ावा देगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे अमेरिकी महंगाई में 0.2% से 0.4% तक की वृद्धि हो सकती है।






