दिल्ली जल बोर्ड इन दिनों अपने इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। राजधानी के उपभोक्ताओं पर पानी के बिलों की बकाया राशि 1.42 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक पहुंच गई है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा व्यावसायिक उपभोक्ताओं का है, जिन पर 66,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। सरकारी विभागों पर 61,000 करोड़ और घरेलू उपभोक्ताओं पर 15,000 करोड़ रुपये का बकाया है। सरकारी श्रेणी में दिल्ली पुलिस सबसे बड़ा डिफॉल्टर है, इसके बाद दिल्ली और केंद्र सरकार के अन्य विभागों का नाम है।
उपभोक्ताओं को राहत की उम्मीद, सरचार्ज माफी की तैयारी
सरकार ने घरेलू और सरकारी उपभोक्ताओं के लिए लेट पेमेंट सरचार्ज माफ करने की योजना बनाई है। जल मंत्री ने बताया कि इस योजना पर तेजी से काम हो रहा है और जल्द ही इसे लागू किया जा सकता है। योजना के तहत उपभोक्ताओं को केवल मूल राशि चुकानी होगी, जिससे लाखों लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। कोविड काल और गलत मीटर रीडिंग के कारण कई उपभोक्ताओं के बिल अत्यधिक बढ़ गए थे, जिनके लिए यह योजना खासतौर पर फायदेमंद होगी।
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पानी की आपूर्ति में असमानता, स्मार्ट मीटर से पारदर्शिता
दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति में भारी असमानता देखी जा रही है। कई क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को मांग के मुकाबले बहुत कम पानी मिल रहा है, जिससे असंतोष बढ़ा है। जल बोर्ड ने इस समस्या के समाधान के लिए स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि बिलिंग में पारदर्शिता आए और उपभोक्ताओं को सही बिल मिले। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन की भी योजना बनाई गई है, जिससे गलत या अनुमानित बिलिंग की समस्या खत्म हो सके।
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कर्ज के बोझ तले जल बोर्ड, केंद्र से मदद की मांग
जल बोर्ड पर वर्तमान में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज भी है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल हैं। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से सरकारी संस्थानों से बकाया वसूलने में मदद मांगी है। जल बोर्ड को यमुना सफाई और जल आपूर्ति नेटवर्क के उन्नयन जैसी बुनियादी परियोजनाओं के लिए तत्काल फंड की जरूरत है। विभाग ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे समय पर बिल जमा करें, जिससे जल आपूर्ति और सेवाओं का स्तर बेहतर किया जा सके।