Chhatarpur PWD building fake registry Baba Bageshwar sevadar FIR- बाबा बागेश्वर के सेवादार द्वारा पीडब्ल्यूडी भवन की फर्जी रजिस्ट्री के आरोप में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. पीडब्ल्यूडी विभाग की शिकायत के बाद कलेक्टर के आदेश के बाद ये कार्रवाई की गई है. इस मामले में नगर पालिका के 2 कर्मचारियों, एक संविदा श्रमिक, तत्कालीन उप-पंजीयक और एक रजिस्ट्री लेखक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. रजिस्ट्री लेखक का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि पूरे मामले की जांच के बाद फर्जी रजिस्ट्री कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. पीडब्ल्यूडी की इस संपत्ति का बाजार मूल्य 20 करोड़ से ऊपर बताया जा रहा है.
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कूटरचित दस्तावेज तैयार करके फर्जी रजिस्ट्री का आरोप
छतरपुर शहर के पुराने बाजार स्थित कोतवाली थाना के पास 4 हजार वर्ग फीट में पीडब्ल्यूडी विभाग की सरकारी संपत्ति है. पीडब्ल्यूडी विभाग के आरोपों के मुताबिक बिल्डिंग में रहने वाले उपाध्याय परिवार ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कराकर भवन की रजिस्ट्री धीरेंद्र कुमार गौर और उनके साथी दुर्गेश पटेल के नाम कर दी.
बताया जा रहा है कि यह रजिस्ट्री बिना खसरा नंबर और नगरपालिका के फर्जी रिकॉर्ड के आधार पर की गई है. इसमें राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नजूल रिकॉर्ड को अनदेखा किया गया है. धीरेंद्र गौर बाबा बागेश्वर का खासमखास माना जाता है और धीरेंद्र शास्त्री की आगामी दिल्ली से वृंदावन पदयात्रा का प्रभारी भी है. जब ये जानकारी सामने आई तो जिला प्रशासन में हडकंप मच गया.
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5 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर
पीडब्ल्यूडी विभाग के कार्यपालन यंत्री की शिकायत और छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल के आदेश पर कोतवाली थाने में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. यह कार्रवाई भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (4) के तहत की गई है, जो धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करने से संबंधित है.
जिन 5 लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें सहायक राजस्व निरीक्षक राजेंद्र नापित, सहायक राजस्व निरीक्षक दयाराम कुशवाहा, अस्थायी संविदा श्रमिक उमाशंकर पाल, तत्कालीन प्रभारी उप-पंजीयन कंसूलाल अहिरवार और रजिस्ट्री लेखक रघुनंदन प्रसाद पाठक का नाम शामिल है. रघुनंद पाठक का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है.
हाईकोर्ट जाने की तैयारी में पीडब्ल्यूडी विभाग
कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने मामले की जांच की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री आशीष भारती को सौंप दी है. इसके अलावा कलेक्टर ने छतरपुर एसडीएम अखिल राठौर को नामांतरण पर रोक लगाने के निर्देश दे दिए हैं. लोक निर्माण विभाग के अधिकारी आशीष भारती हाईकोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी में हैं. जानकारी के मुताबिक सोमवार को कोर्ट खुलने पर याचिका दायर की जा सकती है.
पीडब्ल्यूडी विभाग ने नोटिस चस्पा करके ठोका दावा
लोक निर्माण विभाग ने बीते दिन भवन परिसर में एक नोटिस चस्पा किया था, जिसपर साफ लिखा था कि यह भवन आज भी लोक निर्माण विभाग और नजूल विभाग, नगर पालिका छतरपुर के अभिलेखों में शासकीय संपत्ति के रूप में दर्ज है. उपाध्याय परिवार द्वारा इसको निजी व्यक्ति धीरेन्द्र गौर और दुर्गेश पटेल को फर्जी और कूटरचित दस्तावेज तैयार करके बेचा गया है. इसलिए उनके स्वामित्व का दावा अवैध है. वो इसको निरस्त कराए नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
पीडब्ल्यूडी की पंजी में 64 नंबर पर दर्ज सरकारी भवन
पीडब्ल्यू विभाग के जिस सरकारी भवन को बेचा गया है. वह आज भी लोक निर्माण विभाग की भवन पुस्तिका में क्रमांक 64 पर हाउस ऑफ दफ्तरी वाला के नाम से दर्ज है. विभागीय रिकॉर्ड में यह संपत्ति 1978-79 से शासकीय उपयोग के लिए दर्ज है. वर्षों से इस भवन का किराया जमा किया जा रहा था और यह विभाग की सक्रिय सूची में भी मौजूद है. इसके बावजूद 13 जून 2024 में इस सरकारी संपत्ति की रजिस्ट्री धीरेंद्र गौर और दुर्गेश पटेल के नाम पर 84 लाख 54 हजार रुपए में कर दी गई.
विभिन्न विभागों द्वारा मामले में जारी है कार्रवाई
मामले में जब छतरपुर कोतवाली टीआई अरविंद दांगी ने बताया कि “इस मामले में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी गई है. जांच में जिसका भी नाम आएगा उसको आरोपी बनाया जाएगा.” छतरपुर एसडीएम अखिल राठौर ने बताया कि “कलेक्टर के निर्देश पर मामले में कार्रवाई चल रही है. इस मामले में कोर्ट जाने की भी तैयारी है.” वहीं छतरपुर रजिस्टार जीपी सिंह ने बताया कि “सरकारी बिल्डिंग की रजिस्ट्री हुई है. इसमें कहीं भी खसरा नंबर अंकित नहीं है. आगे की कार्रवाई की जा रही है.”







