उज्जैन-रविवार की सुबह उज्जैन के लिए सामान्य थी, लेकिन कुछ ही घंटों में शहर की फिजा बदल गई। धर्म विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक, जो अपने शोध और सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते थे, कमल के फूल लेने तालाब की ओर गए। किसी ने नहीं सोचा था कि यह उनकी अंतिम यात्रा होगी।
कमल चुनने की साधना बनी जीवन का अंतिम क्षण
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, निदेशक तालाब के किनारे पहुंचे और कमल के फूल चुनने के लिए पानी में उतरे। तालाब का पानी शांत था, लेकिन उसकी गहराई ने अनहोनी को जन्म दे दिया। अचानक उनका संतुलन बिगड़ा और वे गहरे पानी में चले गए। आसपास मौजूद लोग जब तक कुछ समझ पाते, तब तक वे डूब चुके थे।
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बचाव की कोशिशें और बढ़ती बेचैनी
घटना के बाद तालाब के किनारे मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई। कुछ ने तुरंत शोर मचाया, तो कुछ ने पानी में कूदकर बचाने की कोशिश की। स्थानीय प्रशासन और बचाव दल को सूचना दी गई। रेस्क्यू टीम ने काफी मशक्कत के बाद निदेशक के शव को बाहर निकाला। इस दौरान हर किसी की आंखों में चिंता और दुख साफ झलक रहा था।
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उज्जैन के बौद्धिक जगत में शोक की लहर
धर्म विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक की असमय मृत्यु ने उज्जैन के शैक्षिक और बौद्धिक जगत को गहरे शोक में डुबो दिया। उनके सहयोगी, छात्र और शहर के गणमान्य नागरिक तालाब के किनारे एकत्रित हो गए। हर कोई यही सोच रहा था कि एक समर्पित शोधकर्ता और समाजसेवी का यूं अचानक चले जाना कितना बड़ा नुकसान है।
पुलिस और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी। तालाब के आसपास सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम न होने की बात भी सामने आई, जिस पर प्रशासन ने संज्ञान लिया है।
शहर में सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
इस हादसे के बाद उज्जैन के नागरिकों में तालाबों और जलाशयों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
निदेशक की उपलब्धियां और समाज में योगदान
धर्म विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक ने अपने कार्यकाल में न केवल शोध के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया, बल्कि सामाजिक जागरूकता और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में संस्थान ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम आयोजित किए, जिससे उज्जैन की पहचान और मजबूत हुई।
श्रद्धांजलि और स्मृतियों में जीवित रहेगा व्यक्तित्व
शहर के विभिन्न वर्गों शिक्षाविदों, विद्यार्थियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने निदेशक को श्रद्धांजलि दी। उनकी सरलता, विद्वता और समाज के प्रति समर्पण को हर कोई याद कर रहा है। उनके जाने से जो खालीपन आया है, उसे भर पाना आसान नहीं होगा।
प्रशासन की ओर से आश्वासन
प्रशासन ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तालाबों के आसपास सुरक्षा बढ़ाने और चेतावनी बोर्ड लगाने का आश्वासन दिया है। साथ ही, ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने की भी बात कही गई है।
उज्जैन की सुबह, एक सवाल के साथ
यह घटना उज्जैन के लिए एक चेतावनी भी है—क्या हम अपने सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त सतर्क हैं? निदेशक की असमय मृत्यु ने न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे शहर को झकझोर दिया है। हर कोई यही सोच रहा है कि अगर सुरक्षा के इंतजाम बेहतर होते, तो शायद यह हादसा टल सकता था।