राजस्थान की न्यायिक व्यवस्था में उस वक्त हलचल मच गई जब सामने आया कि एक महिला अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट की लिपिक भर्ती परीक्षा में ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए नकल कर न केवल परीक्षा पास की, बल्कि अब वह कोर्ट में कनिष्ठ लिपिक (ग्रेड-2) के पद पर भी कार्यरत है। एसओजी (विशेष अभियान दल) की जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ, जिससे भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
संगठित नकल गिरोह की साजिश
एसओजी-एटीएस के एडीजी वीके सिंह के अनुसार, इस पूरे मामले की जड़ें एक संगठित नकल गिरोह तक जाती हैं। पौरव कालेर नामक सरगना ने हाईकोर्ट की लिपिक भर्ती परीक्षा में कई अभ्यर्थियों को ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए नकल करवाई। जांच में सामने आया कि कालेर सालासर की एक होटल में बैठकर मोबाइल कॉल के जरिए अभ्यर्थियों को प्रश्नों के उत्तर उपलब्ध करा रहा था। यह गिरोह तकनीक का इस्तेमाल कर परीक्षा प्रणाली को चकमा देने में सफल रहा।
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परीक्षा केंद्र पर ब्लूटूथ से मिली मदद
आरोपी संगीता विश्नोई ने 19 मार्च 2023 को आरएनबी विश्वविद्यालय स्थित परीक्षा केंद्र पर लिपिक भर्ती की लिखित परीक्षा दी थी। जांच में स्पष्ट हुआ कि उसने ब्लूटूथ डिवाइस के माध्यम से बाहर बैठे गिरोह से उत्तर प्राप्त किए। इस तकनीकी नकल के चलते वह परीक्षा में सफल रही और चयनित होकर देसूरी (पाली) की सिविल न्यायालय में कनिष्ठ लिपिक के पद पर पदस्थापित हो गई।
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एसओजी की सतर्कता और गिरफ्तारी
भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की सूचना मिलने के बाद एसओजी ने गहन जांच शुरू की। अनुसंधान अधिकारी एएसपी प्रकाश कुमार शर्मा के नेतृत्व में टीम ने संगीता विश्नोई को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने नकल के पूरे नेटवर्क और गिरोह की कार्यप्रणाली के बारे में अहम जानकारियां दी हैं। एसओजी अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है।
परीक्षा प्रणाली पर सवाल
इस घटना ने राजस्थान की प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तकनीक के दुरुपयोग और संगठित गिरोहों की सक्रियता ने यह साबित कर दिया है कि परीक्षा केंद्रों पर निगरानी और सुरक्षा के नए उपायों की सख्त जरूरत है। ब्लूटूथ जैसी सूक्ष्म डिवाइसों का दुरुपयोग रोकना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
नकल माफिया का बढ़ता नेटवर्क
राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में नकल माफिया का नेटवर्क लगातार बढ़ता जा रहा है। ये गिरोह अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराने के लिए तकनीकी उपकरणों, मोबाइल नेटवर्क और ब्लूटूथ जैसी डिवाइसों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे न केवल योग्य अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन होता है, बल्कि सरकारी सेवाओं में अयोग्य और अनुचित चयन भी होता है।
प्रशासन की सख्ती और आगे की कार्रवाई
एसओजी ने इस मामले में संगीता विश्नोई के साथ-साथ नकल गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए अभियान तेज कर दिया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि दोषी पाए जाने पर अभ्यर्थी की नियुक्ति रद्द की जाएगी और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, परीक्षा प्रणाली को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी उपायों को और मजबूत किया जाएगा।
समाज में भरोसे की बहाली की चुनौती
इस घटना ने समाज में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं और न्यायिक संस्थाओं की साख पर गहरा असर डाला है। अब प्रशासन और न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे पारदर्शिता और निष्पक्षता को पुनः स्थापित करें, ताकि योग्य अभ्यर्थियों का विश्वास बहाल हो सके।