बांग्लादेश के रंगपुर जिले के एक गांव में रविवार को भीड़ ने हिंदू समुदाय के लगभग पंद्रह घरों में तोड़फोड़ की। हमले के कारण कई परिवारों को सुरक्षित जगह तलाशनी पड़ी और वे अपने घर छोड़कर दूसरों के पास शरण लिए। इससे गांव में डर का माहौल फैल गया।
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सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट से भड़की हिंसा
यह हमला एक 17 वर्षीय लड़के के कथित विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हुआ था, जिसमें पैगंबर मुहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी बताई गई थी। लड़के को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद भीड़ ने कई बार हिंदू परिवारों के घरों पर हमला किया, उनकी संपत्तियां नष्ट कीं और कुछ घर जला दिए।
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सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद भय बना रहा
हमले के बाद पुलिस और सेना को गांव में ही स्थित कर दिया गया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। स्थानीय लोग अब भी अपने घर लौटने से डर रहे हैं। कई छात्र-छात्राओं ने स्कूल जाना बंद कर दिया है, और कई परिवार रिश्तेदारों के घर शरण लिए हुए हैं।
पीड़ित परिवारों की तकलीफें और राहत की जरूरत
हमले में फंसे लोगों ने बताया कि उन्हें अचानक वहां से भागना पड़ा, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को बचाना मुश्किल था। कई महिलाओं ने जंगल में जाकर छुपना पड़ा। खाद्य और आवश्यक सामान की कमी हो गई है और वे प्रशासन से मदद की उम्मीद कर रहे हैं।
प्रशासन की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
अब तक पुलिस ने हमले के आरोपियों के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है। मानवाधिकार समूह और अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता सरकार से मांग कर रहे हैं कि आरोपियों को दंडित किया जाए। प्रशासन ने जांच का आश्वासन दिया है और सुरक्षा बढ़ाने के लिए कदम उठा रहा है।
बढ़ते सांप्रदायिक तनाव से उत्पन्न चुनौती
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर यह हमला लगातार बढ़ते सांप्रदायिक तनाव का उदाहरण है। सोशल मीडिया और राजनीतिक अस्थिरता ने हालात को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञ इस संघर्ष को सरकारी और सामाजिक स्तर पर गंभीर चुनौती मानते हैं।