देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए मंगलवार का दिन बेहद अहम रहा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कर्नाटक के बेंगलुरु और कोलार जिलों में एक साथ कई जगह छापेमारी कर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया। हैरानी की बात यह है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में एक जेल का मनोचिकित्सक और एक सिटी आर्म्ड रिजर्व पुलिसकर्मी भी शामिल है। इन पर आरोप है कि वे जेल में बंद कैदियों को उग्रपंथी विचारधारा की ओर मोड़ने की कोशिश कर रहे थे।
एनआईए की सुनियोजित छापेमारी
एनआईए ने मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बेंगलुरु और कोलार जिलों में पांच अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान डॉ. नागराज (जेल मनोचिकित्सक), एएसआई चान पाशा (सिटी आर्म्ड रिजर्व पुलिसकर्मी) और अनीस फातिमा (एक फरार आरोपी की मां) को गिरफ्तार किया गया। छापेमारी के दौरान आरोपियों के घरों से डिजिटल उपकरण, नकदी, सोना और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए।
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जेल के भीतर से आतंकी नेटवर्क की बुनियाद
जांच में सामने आया है कि डॉ. नागराज बेंगलुरु के केंद्रीय कारागार में उम्रकैद की सजा काट रहे कुख्यात आतंकी टी. नसीर समेत अन्य कैदियों के लिए मोबाइल फोन की तस्करी करता था। इस काम में उसे पवित्रा नाम की महिला का भी सहयोग मिलता था। एनआईए ने इनके घरों के साथ-साथ भगोड़े जुनैद अहमद की मां अनीस फातिमा के घर की भी तलाशी ली। आरोप है कि अनीस फातिमा अपने बेटे के निर्देशों पर जेल में टी. नसीर तक पैसे पहुंचाने में मदद कर रही थी।
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पुलिसकर्मी की भूमिका भी संदिग्ध
एनआईए की जांच में यह भी सामने आया कि एएसआई चान पाशा वर्ष 2022 में पैसे के बदले टी. नसीर को अदालत ले जाने-लाने की सूचनाएं साझा करता था। इससे साफ है कि जेल प्रशासन और पुलिस के कुछ लोग भी आतंकी नेटवर्क को सहयोग पहुंचा रहे थे। एनआईए ने इस मामले में पहले ही नौ आरोपियों के खिलाफ आईपीसी, यूए(पी) एक्ट, आर्म्स एक्ट और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं में चार्जशीट दाखिल कर दी है। भगोड़े जुनैद अहमद की तलाश अब भी जारी है।
डिजिटल सबूत और आपत्तिजनक सामग्री बरामद
छापेमारी में एनआईए को कई डिजिटल उपकरण, नकदी, सोना और ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता की पुष्टि करते हैं। एजेंसी के अनुसार, बरामद सामग्री से यह साबित होता है कि आरोपी जेल के भीतर बैठे-बैठे आतंकी गतिविधियों की साजिश रच रहे थे और बाहरी नेटवर्क से जुड़े हुए थे।
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एजेंडा
एनआईए की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बेंगलुरु में आतंकी गतिविधियों की साजिश रच रहे थे। इनका मकसद जेल के भीतर कैदियों को कट्टरपंथी बनाना और उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार करना था। इस साजिश में जेल के अधिकारी, पुलिसकर्मी और बाहरी सहयोगी सभी शामिल थे।
जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस खुलासे के बाद देशभर की जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। अगर जेल के भीतर बैठे अधिकारी और कर्मचारी ही आतंकी नेटवर्क को सहयोग देने लगें, तो यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। एनआईए की यह कार्रवाई न केवल कर्नाटक, बल्कि पूरे देश की जेलों के लिए चेतावनी है कि आतंकी संगठन किस तरह से जेलों के भीतर अपना नेटवर्क मजबूत कर रहे हैं।
एनआईए की सतर्कता और भविष्य की रणनीति
एनआईए की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित किया है कि देश की सुरक्षा एजेंसियां आतंकी नेटवर्क की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए हैं। एजेंसी अब फरार आरोपी जुनैद अहमद की तलाश में जुटी है और जेल प्रशासन की भूमिका की भी गहराई से जांच की जा रही है। यह मामला देश की जेलों में सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को और सख्त करने की जरूरत को रेखांकित करता है।