कांग्रेस ने एक बार फिर भारत-चीन संबंधों को लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया बयानों पर सवाल उठाते हुए सरकार की चीन नीति की पारदर्शिता पर गंभीर चिंता जताई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि भले ही सरकार चीन के साथ संबंधों में सुधार का दावा कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग नज़र आती है।
संसद में चर्चा की मांग
जयराम रमेश ने साफ कहा है कि भारत-चीन जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय पर सरकार बार-बार संसद में चर्चा से बच रही है। उन्होंने मांग की कि आगामी मानसून सत्र में चीन नीति, सीमा पर विवाद और भू-राजनीतिक हालातों पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। उनका कहना है कि सरकार इन मुद्दों पर न तो जनता को विश्वास में ले रही है और न ही विपक्ष के सवालों का सीधा जवाब दे रही है। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने संसद में भारत-चीन मसले पर चर्चा की मांग उठाई है, बल्कि पिछले पांच वर्षों से पार्टी इस विषय पर जवाबदेही और पारदर्शिता की बात कर रही है।
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एस. जयशंकर के बयान पर उठे सवाल
कांग्रेस ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान पर भी सवाल खड़े किए हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि पिछले अक्टूबर में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के संबंधों में सुधार आ रहा है। जयराम रमेश का कहना है कि न तो सीमा पर तनाव पूरी तरह समाप्त हुआ है और न ही चीन की ओर से किए गए वादों पर अमल होता दिख रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार जनता को गुमराह कर रही है और प्रधानमंत्री चीन के सामने नर्म रुख अपना रहे हैं।
सैन्य गतिविधियों और सामरिक चिंता
कांग्रेस ने सेना के उप प्रमुख के हालिया बयानों का हवाला देते हुए यह भी कहा है कि चीन, पाकिस्तान के साथ सामरिक गतिविधियों में लगातार सक्रिय है, जिससे भारत की सुरक्षा चिंता बढ़ रही है। पार्टी ने मांग की कि सरकार पारदर्शिता बरते और संसद के माध्यम से देश को पूरी स्थिति से अवगत कराए। उन्होंने आगे कहा कि भारत-चीन संबंधों के वर्तमान परिदृश्य में विरोधी गतिविधियों की संभावना लगातार बढ़ रही है और जनता को वास्तविक स्थिति जानने का हक है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर
बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस विषय पर बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं। सरकार ने कांग्रेस पर चीन के हित में काम करने और भारत की वैश्विक छवि को कमजोर करने का आरोप लगाया है, वहीं कांग्रेस का दावा है कि उनकी पार्टी केवल देशहित में पारदर्शिता और बहस चाहती है। मौजूदा हालात में भारत-चीन संबंध देश की आंतरिक नीति और रक्षा रणनीति में केंद्र बिंदु बने हुए हैं।