उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में रंगाई-पुताई के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। महज 4 लीटर पेंट के लिए 233 मजदूरों की मजदूरी दिखाकर एक लाख से ज्यादा रुपये का बिल बना दिया गया। यह मामला शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है। जांच के बाद यह खुलासा हुआ कि स्कूल भवन की दीवारों पर मामूली रंग-रोगन का कार्य हुआ था, लेकिन कागजों में इसे बड़े स्तर का काम दिखाया गया।
उत्तर प्रदेश- बिल में मजदूरों की फर्जी संख्या दर्ज
School scam- -मामले की जांच में सामने आया कि रंगाई-पुताई के लिए 233 मजदूरों का नाम दर्ज किया गया था, जबकि स्कूल में काम करने के लिए इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों की कोई आवश्यकता नहीं थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि रंगाई का काम महज दो-तीन मजदूरों ने किया था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी स्वीकार किया कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों की जरूरत नहीं थी। बिल में मजदूरी के नाम पर हजारों रुपये का फर्जी भुगतान दर्शाया गया है।
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पेंट की मात्रा और खर्च पर सवाल
उत्तर प्रदेश- जांच में यह भी पाया गया कि स्कूल की रंगाई के लिए सिर्फ 4 लीटर पेंट की खरीद दिखाई गई थी। आमतौर पर इतनी कम मात्रा में पेंट से केवल छोटे कमरे या एक दीवार ही रंगी जा सकती है। इसके बावजूद, बिल में एक लाख रुपये से अधिक की राशि दर्शाई गई है। अधिकारियों ने जब पेंट की मात्रा और खर्च का मिलान किया तो गड़बड़ी साफ नजर आई। इस मामले में पेंट आपूर्ति करने वाली फर्म की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
उत्तर प्रदेश- शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच
इस घोटाले की जानकारी मिलते ही शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी गठित कर दी है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रारंभिक जांच में स्कूल के प्रधानाचार्य और संबंधित ठेकेदार की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। विभाग ने सभी दस्तावेज और भुगतान रसीदें जब्त कर ली हैं। साथ ही, स्कूल में हुए कार्य की फोटोग्राफी और मजदूरों की उपस्थिति रजिस्टर की भी जांच की जा रही है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
इस मामले के उजागर होने के बाद स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि सरकारी धन का दुरुपयोग बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों को तुरंत सस्पेंड किया जाए और स्कूल में हुए सभी कार्यों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए।