Maa Brahmacharini on Navratri day two- शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व में 23 सितंबर 2025 को नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी को तपस्या, संयम और ज्ञान की देवी माना जाता है। इन्हें ब्रह्मा जी के कमंडल से उत्पन्न देवी भी कहा जाता है इसलिए उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। माता के इस स्वरूप की पूजा से साधक को वैराग्य, ध्यान और मानसिक शक्ति की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, एक हाथ में जपमाला और दूसरे में कमंडल होती है ।
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पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:54 बजे से 05:41 बजे तक माना गया है। इसके अलावा दोपहर 12:08 बजे से 12:56 बजे तक अभिजीत मुहूर्त और शाम 06:35 बजे से 07:46 बजे तक संध्या मुहूर्त भी पूजन के लिए शुभ माने जाते हैं। पूजा के दौरान स्वच्छ वस्त्र पहनकर स्नान करने के बाद मां का ध्यान करें और सफेद फूल, अक्षत, चंदन अर्पित करें। मंत्र जाप में “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” और “या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” मंत्रों का जाप किया जाता है। अंत में आरती कर मीठा प्रसाद चढ़ाएं ।
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मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप तपस्या और सन्यास का प्रतीक है। पुराणों के अनुसार पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इसी तपस्या की स्मृति में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। वे साधकों को संयम, ज्ञान और आत्मबल प्रदान करती हैं जिससे जीवन में कठिनाइयों का सामना धैर्य से किया जा सके। उनकी उपासना से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है ।
 
 
 







