मुंबई के दिल में स्थित 150 साल पुराना कर्नाक ब्रिज अब इतिहास की किताबों में एक नए नाम के साथ दर्ज होने जा रहा है। दक्षिण मुंबई में स्थित इस ब्रिज को अब ‘सिंदूर फ्लाईओवर’ के नाम से जाना जाएगा। मुंबई नगर निगम ने इस ऐतिहासिक पुल का नाम बदलने का फैसला किया है, जो न सिर्फ शहर के बुनियादी ढांचे में बदलाव का प्रतीक है, बल्कि देश की सैन्य उपलब्धियों को भी सम्मानित करता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से प्रेरित नाम
नया नाम ‘सिंदूर’ भारतीय सेना के उस साहसिक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से लिया गया है, जो पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक कौशल का प्रतीक रहा है। नगर निगम प्रशासन के अनुसार, इस नामकरण का उद्देश्य देशभक्ति और सैन्य गौरव को आम नागरिकों के जीवन से जोड़ना है। यह पुल अब सिर्फ एक यातायात मार्ग नहीं, बल्कि देश के शौर्य का स्मारक भी बन गया है।
उद्घाटन की तैयारी और मुख्यमंत्री की मौजूदगी
सिंदूर फ्लाईओवर का उद्घाटन 10 जुलाई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों होगा। यह अवसर न केवल नगर निगम और रेलवे प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे मुंबईवासियों के लिए गर्व का क्षण है। उद्घाटन समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें शहर के वरिष्ठ अधिकारी, अभियंता और गणमान्य नागरिक शामिल होंगे।
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पूर्व और पश्चिम को जोड़ने वाली जीवनरेखा
सिंदूर फ्लाईओवर दक्षिण मुंबई के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ता है। यह मस्जिद बंदर रेलवे स्टेशन के पास स्थित है और पी. डिमेलो रोड को जोड़ता है। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मस्जिद बंदर और मोहम्मद अली रोड जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए यह पुल एक अहम संपर्क मार्ग है। इसके चालू होने से यातायात में सुगमता आएगी और लोगों को समय की बचत होगी।
निर्माण की तकनीकी चुनौतियाँ और सफलता
करीब 150 साल पुराने ब्रिटिशकालीन कर्नाक ब्रिज को 2022 में असुरक्षित घोषित कर यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद अगस्त 2022 में पुल को ध्वस्त कर दिया गया। नए पुल के डिजाइन को मध्य रेलवे ने मंजूरी दी और निर्माण कार्य शुरू हुआ। पुल की कुल लंबाई 328 मीटर है, जिसमें 70 मीटर रेलवे सीमा के भीतर आता है। इसमें दो विशाल स्टील गर्डर लगाए गए, जिनका वजन 550 मीट्रिक टन है। इन्हें आरसीसी पिलरों पर अत्यंत सावधानी से स्थापित किया गया।
गर्डर स्थापना की रोमांचक प्रक्रिया
दक्षिणी गर्डर को 19 अक्टूबर 2024 और उत्तरी गर्डर को 26 और 30 जनवरी 2025 को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। इसके लिए रेलवे ने विशेष मेगा ब्लॉक लिया, ताकि यातायात और ट्रेन संचालन में कोई बाधा न आए। गर्डर को 58 मीटर ऊंचाई तक उठाकर, फिर 2 मीटर नीचे लाकर आरसीसी पिलरों पर सटीकता से रखा गया। यह पूरी प्रक्रिया इंजीनियरिंग कौशल और टीमवर्क का बेहतरीन उदाहरण रही।
समय पर पूरा हुआ निर्माण, प्रशासन की सराहना
मुंबई नगर निगम के पुल विभाग और इंजीनियरों की टीम ने अतिरिक्त नगर आयुक्त अभिजीत बांगर के नेतृत्व में समय पर सिंदूर फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा किया। प्रशासन ने बताया कि परियोजना को तय समयसीमा में पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की गई। इससे मुंबई की यातायात व्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी।
ऐतिहासिक विरासत और आधुनिकता का संगम
सिंदूर फ्लाईओवर न सिर्फ मुंबई की ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह आधुनिक तकनीक और प्रबंधन का भी उदाहरण है। पुराने कर्नाक ब्रिज की जगह अब एक मजबूत, सुरक्षित और आधुनिक पुल ने ले ली है, जो आने वाले दशकों तक मुंबईवासियों की सेवा करेगा।
नागरिकों के लिए नई उम्मीद
इस नए फ्लाईओवर के शुरू होने से मुंबई के नागरिकों को यातायात जाम से राहत मिलेगी और शहर की रफ्तार को नई दिशा मिलेगी। यह पुल न सिर्फ एक निर्माण परियोजना है, बल्कि मुंबई की जीवंतता, जुझारूपन और नवाचार का प्रतीक भी है।