रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि तुर्की के इस्तांबुल में शांति वार्ता के लिए मौजूद हैं। यह वार्ता तीन साल से अधिक समय से जारी संघर्ष के बाद एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। तुर्की सरकार की मेज़बानी में यह बैठक इस्तांबुल के एक प्रसिद्ध महल में हुई है, जिसमें रूस की ओर से व्लादिमीर मेडिंस्की और यूक्रेन की ओर से रुसतेम उमेरोव शामिल हैं।
वार्ता से ठीक पहले रूस ने यूक्रेन के सुमो क्षेत्र स्थित एक बड़े पावर स्टेशन पर ड्रोन से हमला किया, जिससे करीब दो लाख लोग बिजली कटौती का शिकार हुए। इस हमले से थर्मल और हाइड्रोपावर संयंत्रों को भारी नुकसान पहुंचा, जिससे क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति बाधित हो गई।
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यह इस्तांबुल वार्ता इस साल की तीसरी बड़ी वार्ता है, जिसमें दोनों पक्ष युद्धविराम, बंदियों की रिहाई और सीमाई सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि, रूस और यूक्रेन की शर्तों में गहरा अंतर होने के कारण स्थायी समाधान अभी दूर नजर आता है। रूस चाहता है कि यूक्रेन अपने कुछ क्षेत्रों पर दावा वापस ले और पश्चिमी देशों के सैन्य सहयोग से दूरी बनाए, जबकि यूक्रेन बिना शर्त युद्धविराम और सभी बंदियों की रिहाई चाहता है।
हाल ही में रूस ने यूक्रेन के कई शहरों, खासकर पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में ड्रोन और मिसाइल हमलों की संख्या बढ़ाई है। इस कारण ओडेसा, ड्निप्रो, मिकोलाइव जैसे शहरों में गंभीर बिजली संकट उत्पन्न हो गया है। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार ये हमले सर्दियों की तैयारी का हिस्सा हैं, जो आम लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
इस बीच युद्धों के बंदी भी बातचीत का अहम हिस्सा बने हैं। दोनों पक्षों ने अब तक करीब 2,000 युद्धबंदियों का आदान-प्रदान किया है, जिससे मानवीय स्थितियों में कुछ सुधार हुआ है। यह प्रक्रिया युद्ध के मानवीय पहलुओं पर ध्यान देने की कोशिश बताती है।
विश्वभर के देशों, विशेषकर अमेरिका सहित पश्चिमी ताकतों द्वारा रूस पर युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका ने रूस और उसके सहयोगी देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी है। हालांकि रूस की सरकार अपनी शर्तों को बनाए रखे हुए है, जिससे युद्ध विराम की संभावनाएं कमजोर हैं।
तुर्की ने इस वार्ता की सफलता के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं और खुद को निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। साथ ही, यूक्रेनी जनता कठिन हालात के बावजूद जीवन यापन कर रही है और अंतरराष्ट्रीय संगठन उन्हें राहत पहुंचाने में लगे हैं।
वार्ता के शुरुआती दौर में दोनों पक्षों के बीच मतभेद साफ नजर आ रहे हैं। तुर्की प्रशासन ने कहा है कि बातचीत से जुड़ी किसी भी जानकारी को केवल आधिकारिक बयान के जरिए ही साझा किया जाएगा। तब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि युद्ध विराम कब संभव हो सकेगा।