होम नेशनल न्यूज मध्य प्रदेश लोकल न्यूज टेक्नोलॉजी बिजनेस मनोरंजन वीडियो न्यूज अन्य
Latest news

---Advertisement---

Russian woman in the forest- रूसी महिला ने जंगल में बेटियों को दी नई पहचान

By: विकाश विश्वकर्मा

On: Monday, July 14, 2025 1:11 PM

Teaching yoga and meditation to children in nature
Google News
Follow Us
---Advertisement---

रूस की नीना कुटिना ने अपनी जिंदगी के कई साल घने जंगलों में बिताए। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को इन्हीं जंगलों में जन्म दिया और वहीं परवरिश की। नीना का मानना है कि प्रकृति की गोद में रहना बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित और सशक्त अनुभव है। जंगल की शुद्ध हवा, हरियाली और प्राकृतिक वातावरण ने उनके परिवार को एक अलग ही जीवनशैली दी। नीना ने अपने जीवन के इस अनोखे सफर में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

योग और ध्यान से संवारा बेटियों का जीवन

नीना ने अपनी बेटियों को छोटी उम्र से ही योग और ध्यान की शिक्षा देना शुरू कर दिया। उनका मानना है कि योग और ध्यान से मानसिक शांति और आत्मबल मिलता है। बेटियाँ हर सुबह जंगल की ताजगी में योगासन करतीं और ध्यान लगातीं, जिससे उनमें आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच का विकास हुआ। नीना खुद भी योग की जानकार हैं, जिससे बेटियों को सही मार्गदर्शन मिला और वे मानसिक रूप से मजबूत बन सकीं।

Odisha college student – बालासोर में छात्रा ने न्याय न मिलने पर आत्मदाह किया!

चित्रकला और आध्यात्मिक शिक्षा का मिला संगम

नीना ने बेटियों को न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि उनकी रचनात्मकता को भी निखारा। जंगल के सुंदर दृश्य, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे उनकी चित्रकला के विषय बने। बेटियाँ मिट्टी, पत्तों और प्राकृतिक रंगों से चित्र बनातीं और अपनी कल्पना को उड़ान देतीं। साथ ही, नीना ने उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा भी दी, जिससे वे जीवन के गहरे अर्थ को समझने लगीं और आत्मिक संतुलन प्राप्त किया।

BJP leadership- नागपुर में मोहन भागवत का बयान, राजनीति में हलचल!

प्राकृतिक संसाधनों और इंस्टेंट नूडल्स से जीवनयापन

नीना और उनकी बेटियाँ अपने जीवनयापन के लिए जंगल के प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहीं। भोजन के लिए वे इंस्टेंट नूडल्स का इस्तेमाल करती थीं, जो जल्दी बन जाता था और जंगल में उपलब्ध सामग्री के साथ मिलाकर पौष्टिक भी हो जाता था। इसके अलावा, वे जड़ी-बूटियों, फल-फूल और कंद-मूल का भी सेवन करती थीं। इस तरह, उनका खानपान पूरी तरह प्राकृतिक और संतुलित रहा।

प्लास्टिक शीट पर काटी सर्द रातें

रहने के लिए नीना और उनकी बेटियाँ प्लास्टिक शीट का उपयोग करती थीं। जंगल की नमी और कीड़ों से बचने के लिए यह एकमात्र विकल्प था। वे तीनों एक साथ सोतीं, जिससे सुरक्षा और अपनापन महसूस होता था। नीना का मानना है कि भौतिक सुख-सुविधाओं से ज्यादा प्रकृति की गोद और परिवार का साथ सच्चा सुख देता है।

विकाश विश्वकर्मा

नमस्कार! मैं विकाश विश्वकर्मा हूँ, एक फ्रीलांस लेखक और ब्लॉगर। मेरी रुचि विभिन्न विषयों पर लिखने में है, जैसे कि प्रौद्योगिकी, यात्रा, और जीवनशैली। मैं अपने पाठकों को आकर्षक और जानकारीपूर्ण सामग्री प्रदान करने का प्रयास करता हूँ। मेरे लेखन में अनुभव और ज्ञान का मिश्रण होता है, जो पाठकों को नई दृष्टि और विचार प्रदान करता है। मुझे उम्मीद है कि मेरी सामग्री आपके लिए उपयोगी और रोचक होगी।
For Feedback - Feedback@shopingwoping.com.com

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment