भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके तीन अंतरराष्ट्रीय साथियों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18 दिन बिताने के बाद सोमवार को पृथ्वी के लिए वापसी की यात्रा शुरू की। यह मिशन चार देशों के सहयोग से संचालित हुआ, जिसमें भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री शामिल थे। यह मिशन अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती भूमिका की पहचान बन चुका है।
कैलिफोर्निया तट पर स्प्लैशडाउन की तैयारी
शुक्ला और उनकी टीम स्पेसएक्स के ड्रैगन यान में सवार होकर धरती की ओर लौट रही है। यह यान मंगलवार दोपहर भारतीय समयानुसार तीन बजे के करीब कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन करेगा। यान पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश से पूर्व अलग-अलग चरणों से गुजरेगा, जैसे हीट शील्ड की सक्रियता और पैराशूट प्रणाली, जिससे लैंडिंग को सुरक्षित बनाया जा सके।
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अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोगों की सफल श्रृंखला
इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जो जीवन विज्ञान, खाद्य सुरक्षा, कृषि और जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित थे। इनमें पौधों की वृद्धि, हड्डियों और मांसपेशियों के बदलाव, माइक्रोएल्गी का पोषण में उपयोग और पानी के बर्ताव पर आधारित प्रयोग शामिल थे। इन प्रयोगों में भारत के वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा विकसित उपकरणों और किटों का उपयोग किया गया, जिससे अंतरिक्ष में भारत की तकनीकी क्षमता उजागर हुई।
पुनर्वास प्रक्रिया की शुरुआत
धरती पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को एक सप्ताह की पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना होगा। अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से शरीर को फिर से पृथ्वी के माहौल में ढालने के लिए विशेष निगरानी और चिकित्सा सत्र निर्धारित किए गए हैं। विशेषज्ञों की देखरेख में यह प्रक्रिया पूरी होगी, जिससे यात्रियों की शारीरिक प्रणाली सामान्य हो सके।
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गगनयान मिशन की दिशा में मजबूत कदम
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान भारत के गगनयान मानव मिशन के लिए प्रेरणा स्रोत मानी जा रही है। राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले वह पहले भारतीय नागरिक हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना वैज्ञानिक योगदान दिया है। इस मिशन की सफलता भारत के भावी अंतरिक्ष एजेंडे को और भी मजबूत करने की दिशा में कदम है, जो 2035 तक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में सहायक होगा।