दिल्ली-एनसीआर में लावारिस कुत्तों को हटाने का विषय एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के दरबार में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ—जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजरिया—गंभीरता से इस मुद्दे की सुनवाई कर रही है। मामला तब चर्चा में आया जब पिछले हफ्ते दो जजों की पीठ ने सभी स्ट्रीट डॉग्स को दिल्ली समेत एनसीआर से तत्काल हटाने का आदेश दिया था।
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आदेश के बाद बढ़ी प्रतिक्रियाओं की बौछार
जैसे ही कोर्ट ने 11 अगस्त को आदेश जारी किया, राजधानी में हलचल तेज हो गई। कई पशु-प्रेमी और अधिकार कार्यकर्ता इंडिया गेट के पास धरने पर बैठ गए। विरोध की वजह थी—”लावारिस कुत्तों को हटाने” की कार्यवाही। नेताओं से लेकर आम जन तक इस आदेश के खिलाफ आवाज़ उठाई गई। राहुल गांधी, वरुण गांधी, प्रियंका गांधी और मेनका गांधी ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया। संगठनों जैसे PETA इंडिया ने भी इसे “अव्यावहारिक और अमानवीय” कहा।
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कोर्ट की नई पीठ और सुनवाई की दिशा
विवाद बढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट की नई तीन-जजों की पीठ पहले के आदेशों की समीक्षा करती नज़र आई। जस्टिस विक्रम नाथ ने स्पष्ट किया कि “मुद्दा अभी बंद नहीं हुआ है, केवल तात्कालिक आदेशों पर ध्यान दिया जा रहा है।” वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने जोर देकर कहा कि “अचानक” कुत्तों को उठाया जाना न केवल स्थानीय नियमों के खिलाफ बल्कि पुराने न्यायालय आदेशों के भी विरुद्ध है।
 
 
 







