उज्जैन में मंगलवार को रामलाल जवाहरलाल फर्म के 85 वर्षीय नरेंद्र गंगवाल के पार्थिव शरीर को पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। यह सम्मान देहदान के अवसर पर दिया गया, जो प्रदेश में इस तरह की पहली घटना मानी जा रही है। इस कदम से समाजसेवा के महत्व को नई पहचान मिली।
परिवारजन की प्रेरणादायक पहल
नरेंद्र गंगवाल के परिवार ने उनके निधन के बाद देहदान का निर्णय लिया। उनका मानना था कि जीवन के अंतिम समय में भी किसी व्यक्ति की मदद करना सबसे उत्तम कार्य है। इसे समाज सेवा के रूप में देखा गया और इस फैसले की व्यापक सराहना हुई।
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मेडिकल विद्यार्थियों को नई दिशा
गंगवाल के पार्थिव शरीर को उज्जैन के मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया है जहां छात्रों को अध्ययन और शोध के लिए इसका उपयोग मिलेगा। इस देहदान से मेडिकल शिक्षा को मजबूती मिलेगी तथा आने वाले चिकित्सकों को अभ्यास का अवसर मिलेगा।
मुख्यमंत्री की योजना से समाज में जागरूकता
मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में ऐसे परिवारों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है जो देहदान करते हैं। इस प्रकार की पहल को बढ़ावा देने के लिए सरकार सम्मान देती है। गंगवाल परिवार को पुलिस द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान कर सरकार की नीति को मजबूती मिली है।
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पुलिस की अनूठी भूमिका
पुलिस ने देहदान पर गार्ड ऑफ ऑनर देकर एक नई परंपरा शुरू की है। यह सम्मान अब तक केवल शहीद सैनिकों और अधिकारियों को दिया जाता था। इस समय जिले के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे जिन्होंने परिवार को बधाई दी और समाज में सेवा की भावना बढ़ाने की बात कही।
सामाजिक संदेश एवं शहर में चर्चा
इस पहल से उज्जैन समाज में समाज सेवा के प्रति जागरूकता फैली है। कई सामाजिक संगठन और नागरिक इस अच्छे काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हुए हैं। यह घटना लोगों में आपसी सौहार्द और सेवा भावना को मजबूत करेगी।
नागरिकों की श्रद्धांजलि
नरेंद्र गंगवाल और उनके परिवार को पूरे शहर ने श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके मित्र, कर्मचारी और रिश्तेदार अंतिम दर्शन के लिए उपस्थित हुए। सभी ने इस नेक फैसले को सराहना दी और इसे सदैव याद रखने का संकल्प लिया।
 
 
 







