भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने 1 अगस्त, 2025 से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) में नए नियम लागू करने की घोषणा की है। इन नियमों के तहत यूपीआई उपयोगकर्ताओं के लिए बैलेंस चेक, ऑटोपे टाइमिंग और ट्रांजेक्शन स्टेटस की जांच पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे। यह बदलाव डिजिटल भुगतान प्रणाली को और अधिक सुरक्षित और नियंत्रित बनाने का हिस्सा है।
बैलेंस चेक और ऑटोपे टाइमिंग पर लगाएंगे सीमाएं
नए नियमों के तहत यूपीआई के माध्यम से दिन में बैलेंस चेक की संख्या सीमित कर दी जाएगी। इससे बैंकों और भुगतान ऐप्स पर अत्यधिक लोड कम होगा और सिस्टम की स्थिरता बनी रहेगी। साथ ही, ऑटोपे (स्वचालित भुगतान) के लिए भी टाइमिंग्स को कड़ाई से नियंत्रित किया जाएगा ताकि अनधिकृत या गलत समय पर होने वाले ट्रांजेक्शन से बचा जा सके।]
ट्रांजेक्शन स्टेटस अपडेट में होंगे बदलाव
यूपीआई ट्रांजेक्शन के बाद मिलने वाले स्टेटस अपडेट्स पर भी नए नियम लागू होंगे। अब ट्रांजेक्शन स्टेटस प्राप्त करने की संख्या पर सीमा लगाई जाएगी जिससे सर्वर ओवरलोडिंग और डाटा की अस्पष्टता कम हो सके। इसका उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को अधिक विश्वसनीय और तेज ट्रांजेक्शन अपडेट प्रदान करना है।
उपयोगकर्ताओं की डेली ट्रांजेक्शन पर प्रभाव
इन नियमों के लागू होने के बाद यूपीआई उपयोगकर्ताओं को अपनी दैनिक भुगतान गतिविधियों में कुछ बदलाव महसूस हो सकते हैं। जैसे कि बैलेंस चेक करने की सीमित संख्या के कारण बार-बार चेक करने की बजाय एक बार सही समय पर बैलेंस जांचना बेहतर होगा। इसके अलावा, ऑटोपे भुगतान की समय सीमा निर्धारित होने से पेमेंट की योजना में सावधानी बरतनी होगी।
सुरक्षा और सिस्टम स्थिरता को बढ़ावा
NPCI का मानना है कि ये नियमन यूपीआई को और अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और स्थिर बनाएंगे। सिस्टम पर अनावश्यक दबाव कम होने से डिजिटल लेन-देन में देरी और विफलता की समस्या भी घटेगी। इस कदम से यूजर्स का विश्वास और नेटवर्क की दक्षता दोनों बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
सेवा प्रदाताओं के लिए दिशानिर्देश और अनुपालन
सभी यूपीआई सेवा प्रदाताओं को इन नए नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। NPCI ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इससे यूपीआई प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे आम उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित होगी।
विशेषज्ञों की राय: सकारात्मक बदलाव का मौका
वित्त और डिजिटल भुगतान विशेषज्ञों के अनुसार, नए नियम यूपीआई नेटवर्क की मजबूती के लिए जरूरी हैं। हालांकि कुछ उपयोगकर्ताओं को शुरुआत में असुविधा हो सकती है, परन्तु लंबे समय में यह कदम भुगतान व्यवहार को सुव्यवस्थित बनाएगा और धोखाधड़ी से बचाव करेगा।
 
 
 







