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Young female chess players- सिर्फ 10 साल की उम्र में Bodhana शतरंज की इंटरनेशनल मास्टर बनीं, किया सबको हैरान!

By: विकाश विश्वकर्मा

On: Thursday, August 14, 2025 12:17 PM

सिर्फ 10 साल की उम्र में Bodhana शतरंज की इंटरनेशनल मास्टर
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ब्रिटेन में भारतीय मूल की 10 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी बोधना शिवानंदन ने इतिहास रच दिया है। वह किसी ग्रैंडमास्टर को हराने वाली सबसे कम उम्र की महिला शतरंज खिलाड़ी बन गई हैं। यह उपलब्धि उन्होंने लिवरपूल में आयोजित 2025 ब्रिटिश चेस चैंपियनशिप के आखिरी राउंड में हासिल की, जब उन्होंने 60 वर्षीय ग्रैंडमास्टर पीटर वेल्स को मात दी। बोधना ने यह रिकॉर्ड 10 साल, 5 महीने और 3 दिन की उम्र में अपने नाम किया, जिससे उन्होंने अमेरिकी खिलाड़ी करिसा यिप का 2019 का रिकॉर्ड भी पीछे छोड़ दिया।

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भारतीय जड़ों से ब्रिटिश माहौल तक

बोधना का परिवार तमिलनाडु के त्रिची से है। उनके पिता आईटी सेक्टर में काम करते हैं और 2007 में लंदन आकर बसे। बोधना का जन्म और पालन-पोषण लंदन में ही हुआ। पांच साल की उम्र में बोधना ने घर में ही जहमतबाज खेलना शुरू किया और पहले माता-पिता के समर्थन से, फिर पूरे इंग्लैंड के प्रशंसकों के दिलों में जगह बना ली।

अभूतपूर्व उपलब्धियों की लकीर

बोधना ने अब तक तीन वर्ल्ड जूनियर टाइटल अपने नाम किए हैं और यूरोपियन स्कूल्स चेस चैंपियनशिप में 24 में से सभी मैच जीतकर तीन गोल्ड मेडल भी हासिल किए हैं। एन्ट्री के कुछ साल में ही उन्होंने महिला फाइड मास्टर (WFM) का खिताब पाया, इसके अलावा महिला इंटरनेशनल मास्टर (WIM) और महिला ग्रैंडमास्टर (WGM) नॉर्म भी उसी टूर्नामेंट में हासिल कर लिया। उनकी परिपक्वता, खेल की समझ व मध्य व आखिरी दौर में शानदार चालों ने उन्हें कम उम्र में बहुत विदुषी बनाया है।

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शिक्षा और रुचियों का अद्भुत तालमेल

बोधना की दिनचर्या शतरंज तक सीमित नहीं रहती। वह स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ पियानो और वायलिन भी सीखती हैं। उनके पिता ने बताया, “बोधना को खेल शुरू करने में कोई दबाव नहीं था। खुद से उन्होंने शतरंज खेलना शुरू किया और आगे बढ़ती गई।” ताजगीदायक बात यह है कि शतरंज के अतिरिक्त भी उनकी रुचियां बहुआयामी हैं।

अद्वितीय मुकाबला: ग्रैंडमास्टर के खिलाफ धमाकेदार जीत

लिवरपूल की इस चैंपियनशिप के आखिरी राउंड में, बोधना ग्रैंडमास्टर पीटर वेल्स से भिड़ीं। खेल मध्य तक वेल्स की स्थिति मजबूत थी, लेकिन बोधना ने निरंतर दबाव बनाए रखा। 39वीं चाल में वेल्स की एक छोटी सी गलती पर बोधना ने बेहतरीन रणनीतिक चालों के जरिए खेल पलट दिया और जीत दर्ज की। इंग्लिश चेस फेडरेशन के कमेंटेटर ने कहा, “उन्होंने वाकई करिश्माई जीत दर्ज की… वह किसी जादूगर जैसी लगती हैं!”

विकाश विश्वकर्मा

नमस्कार! मैं विकाश विश्वकर्मा हूँ, एक फ्रीलांस लेखक और ब्लॉगर। मेरी रुचि विभिन्न विषयों पर लिखने में है, जैसे कि प्रौद्योगिकी, यात्रा, और जीवनशैली। मैं अपने पाठकों को आकर्षक और जानकारीपूर्ण सामग्री प्रदान करने का प्रयास करता हूँ। मेरे लेखन में अनुभव और ज्ञान का मिश्रण होता है, जो पाठकों को नई दृष्टि और विचार प्रदान करता है। मुझे उम्मीद है कि मेरी सामग्री आपके लिए उपयोगी और रोचक होगी।
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