प्रयागराज इस समय अपने इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा और यमुना दोनों नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं, जिससे शहर की लगभग आधी आबादी प्रभावित हो चुकी है। बाढ़ का पानी सिर्फ निचले इलाकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पॉश कॉलोनियों, प्रमुख सड़कों और कई महत्वपूर्ण मोहल्लों तक घरों में घुस गया है।
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हर तरफ पानी ही पानी, सड़कों पर चल रही नावें
शहर के बीच से गुजरने वाली सड़कों का हाल किसी नदी जितना हो गया है। छोटा बगाड़ा, सलोरी, राजापुर, मेरबाद, बेली कछार, दारागंज, रसूलाबाद सहित कई नामचीन मोहल्लों में घरों में पानी भर चुका है। कई बसावटों में तो लोग अब नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं। निचले इलाकों से लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों पर पलायन कर रहे हैं। प्रशासन लगातार राहत व बचाव कार्यों में जुटा है और NDRF की टीमें लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास कर रही हैं।
पॉश क्षेत्र भी बेबस, जनजीवन अस्त-व्यस्त
नगर का पॉश एरिया और स्मार्ट सिटी जोन भी आपदा से अछूता नहीं बचा। सिविल लाइंस, टैगोर टाउन, एल्गिन रोड, स्टेशन रोड, अशोक नगर जैसे इलाकों में जलभराव से यातायात ठप पड़ गया है। भारी बारिश के चलते सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया। कई जगह सड़कें टूट गईं, बिजली के पोल गिर गए और आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच पाना मुश्किल हो गया। बिजली और मोबाइल नेटवर्क घंटों बाधित रहे, जिससे लोगों को और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।
स्कूल बंद, राहत शिविरों में बदली पढ़ाई
प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है और कई विद्यालयों को राहत शिविरों में बदल दिया गया है, ताकि विस्थापित लोगों को अस्थायी ठिकाना मिल सके। पानी के तेज बहाव के कारण विद्यालय परिसरों तक पहुंचना भी संभव नहीं रहा। प्रशासन ने बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए राहत सामग्री, भोजन, दवाएं और सुरक्षित स्थानों की व्यवस्था की है।
प्रशासन अलर्ट, जल-प्रबंधन पर सवाल
गंगा और यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ता देख प्रशासन हाई अलर्ट पर है और सभी विभागों को चौकसी बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं। बाढ़ से निपटने के लिए नावों के सहारे रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है और कई इलाकों में प्रशासन ने जलभराव के कारण सड़क यातायात बंद कर दिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि नगर निगम के जलनिकासी के दावे इस आपदा में पूरी तरह फेल हो चुके हैं, और जल प्रबंधन व्यवस्था की पोल खुल गई है।