CBI investigation- सीबीआई ने देश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज घोटाले का खुलासा किया है, जिसमें फर्जी फैकल्टी और नकली छात्रों के सहारे कई राज्यों में मेडिकल कॉलेजों को अवैध रूप से मान्यता दिलाई जा रही थी। इस रैकेट में स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, निजी कॉलेज संचालक, बिचौलिए और वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। निरीक्षण से पहले ही कॉलेजों को टीम की जानकारी दे दी जाती थी, जिससे वे फर्जी सेटअप तैयार कर लेते थे। करोड़ों की रिश्वत और हवाला के जरिए लेन-देन भी सामने आया है, जिससे शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल उठे हैं
देश का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज घोटाला: सीबीआई की बड़ी कार्रवाई
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भारत के इतिहास में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र के सबसे बड़े घोटालों में से एक का पर्दाफाश किया है। यह घोटाला न सिर्फ एक राज्य, बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्यों में फैला हुआ है। सीबीआई की जांच से सामने आया कि इस घोटाले में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, निजी मेडिकल कॉलेजों के संचालक, बिचौलिए, शीर्ष शिक्षाविद् और एक स्वयंभू बाबा तक शामिल हैं। इस मामले में कुल 34 से अधिक लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज किए गए हैं, जिनमें स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी, यूजीसी के पूर्व चेयरमैन और रावतपुरा सरकार के नाम से चर्चित धर्मगुरु जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
फर्जी फैकल्टी और नकली छात्रों का जाल
सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के लिए फर्जी फैकल्टी, नकली छात्रों और मरीजों का सहारा लिया जाता था। निरीक्षण के दौरान कॉलेजों में अस्थायी तौर पर फर्जी प्रोफेसरों और छात्रों को खड़ा कर दिया जाता था। इतना ही नहीं, निरीक्षण से पहले ही कॉलेजों को टीम के नाम और तारीख की जानकारी दे दी जाती थी, जिससे वे पूरी तैयारी कर लेते थे। बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के साथ भी छेड़छाड़ की जाती थी, ताकि कॉलेज की उपस्थिति और गतिविधियां वास्तविक दिख सकें।
करोड़ों की रिश्वत और हवाला के जरिए लेन-देन
इस घोटाले में रिश्वतखोरी का नेटवर्क इतना मजबूत था कि निरीक्षण रिपोर्ट को कॉलेज के पक्ष में करने के लिए लाखों-करोड़ों की रकम दी जाती थी। सीबीआई ने एक मामले में 55 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए डॉक्टरों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इसके अलावा, हवाला और बैंकिंग चैनलों के जरिए भी करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ। जांच में यह भी सामने आया कि रिश्वत की रकम का एक हिस्सा मंदिर निर्माण जैसे धार्मिक कार्यों में भी लगाया गया।
शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल
इस घोटाले ने देश की मेडिकल शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कॉलेजों को अवैध तरीके से मान्यता दिलाने के लिए फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार का ऐसा जाल बिछाया गया, जिससे योग्य छात्रों और मरीजों का हक मारा गया। सीबीआई की कार्रवाई के बाद अब मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव और सख्त निगरानी की मांग तेज हो गई है। जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।