करवा चौथ का व्रत हिन्दू महिलाओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो पूरे देश में विशेष धार्मिक fervor के साथ मनाया जाता है। इस व्रत की पूजा और परंपराएँ धार्मिक श्रृद्धा के साथ संपन्न की जाती हैं। खासतौर पर चंद्रमा को अर्घ्य देना इस पूजा का अनिवार्य हिस्सा है, जो व्रत की पूर्णता और सफलता के लिए आवश्यक माना जाता है। बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए यह व्रत अधूरा माना जाता है। यदि आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, तो यह जानकारी आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय कौन सा मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए।
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प्राचीन परंपरा और धार्मिक मान्यताएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत चंद्रमा की पूजा से जुड़ा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं का यह व्रत उनके पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने का यह कर्म बहुत ही पवित्र माना गया है, जिसकी शुरुआत शाम को चंद्र दर्शन के बाद होती है। महिलाओं को चाहिए कि वह इस समय विशेष मंत्र का जाप करें, ताकि व्रत की संपूर्ण पूजा सफल हो सके। यह मंत्र व्रत के अनुसार ही परंपराओं का हिस्सा है और श्रद्धा के साथ पढ़ना आवश्यक माना जाता है।
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चंद्रदेव को अर्घ्य देने का मंत्र
अगर आप पहली बार इस व्रत को रख रही हैं, तो सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए। सबसे प्रसिद्ध और श्रद्धालुओं द्वारा बोले जाने वाला मंत्र है—”ॐ श्रीयंत्राय नमः”। इसके अलावा, अन्य मंत्र भी पढ़े जाते हैं, जैसे “ओम चंद्रमौ०”, जो सीधे भगवान चंद्रदेव का ध्यान केंद्रित करता है। इन मंत्रों का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए। मंत्र का उच्चारण शुभ फल प्राप्ति और व्रत की सफलताओं में मदद करता है। यह मंत्र व्रत का मुख्य हिस्सा माना जाता है, क्योंकि इससे श्रद्धा और आस्था का सुमधुर मेल जुड़ता है।
मंत्र पढ़ने का सही तरीका और महत्व
मंत्र पढ़ते समय महिलाओं को शांत और श्रद्धालु मन से ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मंत्र का उच्चारण आत्मिक ऊर्जा का संचार करता है और व्रत के आध्यात्मिक प्रभाव को बढ़ाता है। पूजा के दौरान, महिलाओं को चाहिए कि पूरे मनोभाव के साथ मंत्र का जाप करें। यह आत्मा को प्रसन्न करने, मनोकामना पूरी करने और चंद्रमा की कृपा पाने का एक आसान तरीका है। मंत्र का सही उच्चारण व्रत की सफलता में सहायक है और यह सुनिश्चित करता है कि पूजा विधि पूर्ण रूप से सम्पन्न हो। इस मंत्र का जाप व्रत समाप्ति के साथ ही किया जाता है, ताकि सूझ-बूझ और शुभ लाभ प्राप्त हो।






