काठमांडू में हाल ही में आयोजित एक उच्चस्तरीय सेमिनार में दक्षिण एशिया में आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में नेपाल के पूर्व रक्षा मंत्री मिनेंद्र रिजाल, राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा सहित कई रणनीतिक विशेषज्ञ, राजनयिक और नीति निर्माता शामिल हुए। वक्ताओं ने एकमत से माना कि पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
भारत में आतंकी हमलों का नेपाल पर असर
पूर्व रक्षा मंत्री मिनेंद्र रिजाल ने कहा कि भारत में होने वाले आतंकवादी हमलों का सीधा असर नेपाल की आंतरिक सुरक्षा पर भी पड़ता है। उन्होंने बताया कि जब भारत में आतंकी गतिविधियां बढ़ती हैं, तो नेपाल की सीमाओं पर भी सुरक्षा संबंधी चुनौतियां बढ़ जाती हैं। नेपाल और भारत के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जो आतंकियों के लिए आवाजाही को आसान बनाती है। ऐसे में नेपाल की सुरक्षा एजेंसियों को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ती है।
पाकिस्तान पर गंभीर आरोप, क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा
राष्ट्रपति के सलाहकार सुनील बहादुर थापा ने सेमिनार में स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन नेपाल की खुली सीमाओं का फायदा उठाकर भारत में हमले की साजिश रच सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि नेपाल की भूमि का ट्रांजिट रूट के तौर पर दुरुपयोग भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। वक्ताओं ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को दिए जा रहे समर्थन को दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ी बाधा बताया।
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आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की जरूरत
सेमिनार में वक्ताओं ने आतंकवाद-रोधी सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई, खुफिया जानकारी साझा करने, और भारत-नेपाल सीमा पर संयुक्त गश्त के सुझाव दिए गए। साथ ही, क्षेत्रीय देशों से आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड न अपनाने की अपील की गई।
 
 
 







