मध्य प्रदेश विधानसभा ने श्रम विभाग के संशोधित नियमों को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब कर्मचारी यूनियन को हड़ताल या तालाबंदी घोषित करने से पहले कम से कम डेढ़ महीने यानी 45 दिनों का नोटिस देना अनिवार्य होगा। सरकार का कहना है कि इस कदम से औद्योगिक अनुशासन बढ़ेगा और कर्मचारियों तथा नियोक्ताओं के बीच बेहतर संवाद स्थापित होगा।
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कर्मचारियों और यूनियनों के लिए सख्त नियमन
नए नियमों के अनुसार, अब कोई भी कर्मचारी संगठन बिना पहले से सूचना दिए अचानक हड़ताल नहीं कर सकता। इससे विवाद सुलझाने के लिए राज्य सरकार को पर्याप्त समय मिलेगा एवं औद्योगिक गतिविधियाँ प्रभावित नहीं होंगी। इसका मकसद औद्योगिक शांति बनाए रखना और उत्पादन के कार्यों को निरंतरता देना है।
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राजनीतिक दृष्टिकोण और प्रतिक्रिया
इस संशोधन को लेकर राजनीतिक बहस भी छिड़ी हुई है। जहां सरकार का मानना है कि यह नियम उद्योग और श्रमिक दोनों के हित में है, वहीं विपक्षी दल और कुछ मजदूर यूनियन इसे कर्मचारियों के हड़ताल के अधिकार पर प्रतिबंध मानते हैं। उनका कहना है कि इससे कामगारों के अधिकार कमजोर होंगे और श्रमिक विरोध को दबाया जाएगा।
ठेकेदारी और औद्योगिक नियमों में अन्य बदलाव
संशोधित नियमों के मुताबिक अब 50 से कम ठेका श्रमिकों वाले ठेकेदाओं को पंजीयन की आवश्यकता नहीं होगी, जो पहले 20 श्रमिकों तक सीमित था। साथ ही, छोटे और मध्यम उद्योगों को अधिक लचीलापन दिया गया है, जिससे कर्मचारी नियुक्ति, छंटनी और वेतन संबंधी प्रक्रियाएं आसान होंगी। इससे उद्योगों पर अनावश्यक बोझ कम हो जाएगा।
सार्वजनिक सेवाओं में भी नियमों का प्रभाव
नए प्रावधानें निजी क्षेत्र के साथ ही जीवन-आवश्यक सेवाओं जैसे बिजली, परिवहन इत्यादि पर भी लागू होंगे, जिससे इन क्षेत्रों में अचानक से काम बंद होने की घटनाओं में कमी आएगी। यदि विवाद का समाधान नहीं होता है, तो मामले को 45 दिन के अंदर लेबर कोर्ट या ट्रिब्यूनल में भेजा जाएगा, जिससे न्याय समय पर मिल सकेगा।
 
 
 







