अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत की रूस से तेल खरीद पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ के बाद चीन ने इस कदम को “टैरिफ का दुरुपयोग” बताते हुए कड़ी निंदा की है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गो जियाकुन ने इस आदेश पर कहा कि चीन टैरिफ दुरुपयोग के खिलाफ हमेशा एक समान और स्पष्ट विरोध करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के एकतरफा और अनुचित व्यापार रोकथाम वैश्विक व्यापार के लिए खतरा हैं और सभी देशों को पारस्परिक सम्मान के साथ व्यापार करना चाहिए।
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अमेरिका ने भारत पर लगाए कुल 50% टैरिफ
डोनाल्ड ट्रम्प ने 7 अगस्त 2025 से भारत के लिए कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है, जिसमें 25 प्रतिशत पहले से मौजूद था और नए आदेश से 25 प्रतिशत और जुड़ गया। यह टैरिफ भारत की रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने की नीति के कारण लगाया गया है, जिसे अमेरिका यह मानता है कि यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूस की युद्ध मशीन को आर्थिक मदद देता है। इस टैरिफ का असर भारत के कई निर्यात उत्पादों पर होगा। हालांकि, चीन ने भी रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात किया है, पर इसपर अभी तक इसी प्रकार का टैरिफ नहीं लगाया गया है, जिससे चीन के लिए असंतोष बढ़ा है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियम
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का यह कदम न केवल भारतीय हितों के खिलाफ है बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन भी है। चीन ने भारत द्वारा अपनाई गई नीति को ऊर्जा सुरक्षा के लिए उचित बताया है क्योंकि भारत की 1.4 अरब आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना आवश्यक है। चीन ने स्पष्ट किया कि सभी देश अपने-अपने राष्ट्रीय हितों के तहत निर्णय लेते हैं और ऐसे फैसलों के लिए समझदारी और संयम जरूरी है।
अमेरिका की नीतियों के चलते बढ़ रहे तनाव
ट्रम्प प्रशासन ने भारत को यह चेतावनी भी दी है कि यदि उसने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया तो और भी कड़क आर्थिक प्रतिबंध और टैरिफ लगाए जाएंगे। इसके अलावा, अमेरिका ने अन्य देशों के खिलाफ भी इसी तरह के “सेकेंडरी सैंक्शंस” लगाने की संभावना जताई है, जिससे वैश्विक व्यापार और कूटनीतिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं। भारत ने इस फैसले को “अन्यायपूर्ण, अनुचित और असंगत” करार दिया है और अपनी आर्थिक संप्रभुता की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने की बात कही है।