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Chief Justice BR Gavai shoe throwing incident today-भारत के मुख्य न्यायाधीश पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ने फेंका जूता 

By: विकाश विश्वकर्मा

On: Monday, October 6, 2025 5:40 PM

Chief Justice BR Gavai shoe throwing incident today
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Chief Justice BR Gavai shoe throwing incident today-नई दिल्ली देश के सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को झकझोरने वाली एक अप्रत्याशित घटना सोमवार सुबह घटित हुई जब एक 71 वर्षीय वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। यह घटना न केवल न्यायपालिका की गरिमा के लिए चिंताजनक है बल्कि धार्मिक मामलों में न्यायिक टिप्पणियों को लेकर बढ़ते तनाव का प्रतिबिंब भी है।

घटनाक्रम की विस्तृत तस्वीर

सोमवार की सुबह 11:35 बजे सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर एक में एक चौंकाने वाली घटना घटी। वकील राकेश किशोर, जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पंजीकृत सदस्य हैं और दिल्ली के मयूर विहार इलाके के निवासी हैं, अचानक से न्यायाधीशों के मंच के पास पहुंचे और अपना जूता निकालकर चीफ जस्टिस की ओर फेंकने की कोशिश की।

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यह घटना उस समय हुई जब चीफ जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ वकीलों द्वारा उल्लेख किए गए मामलों की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट रूम में मौजूद सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल हस्तक्षेप किया और हमलावर को पकड़ लिया। जब राकेश किशोर को कोर्ट रूम से बाहर ले जाया जा रहा था, तो वह सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान के नारे लगा रहा था।

चीफ जस्टिस की संयमित प्रतिक्रिया

इस पूरी घटना के दौरान चीफ जस्टिस बीआर गवई ने अपना अद्भुत संयम बनाए रखा। उन्होंने न केवल शांति से स्थिति को संभाला बल्कि अदालत कक्ष में उपस्थित वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने का आग्रह भी किया। चीफ जस्टिस ने घटना के बाद कहा, ये चीजें मुझ पर असर नहीं डालतीं। हम विचलित नहीं हैं। इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।”

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उल्लेखनीय बात यह है कि चीफ जस्टिस गवई ने आरोपी वकील के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री अफसरों से कहा, इस मामले को जाने दीजिए। मैं उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाना चाहता हूं। इसके चलते दिल्ली पुलिस ने राकेश किशोर का सारा सामान लौटाकर उसे रिहा कर दिया।

घटना की जड़: खजुराहो विवाद

इस हमले की जड़ में खजुराहो मंदिर परिसर से जुड़ा एक विवाद है। 16 सितंबर 2025 को चीफ जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची क्षतिग्रस्त मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

याचिका खारिज करते समय चीफ जस्टिस गवई ने कहा था, “यह पूरी तरह से प्रचार के लिए दायर याचिका है। जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।”

विवाद का सोशल मीडिया पर प्रसार

चीफ जस्टिस की इस टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत संदर्भ में पेश किया गया, जिससे हिंदूवादी संगठनों में नाराजगी फैली। इस विवाद को देखते हुए चीफ जस्टिस गवई ने 17 सितंबर को स्पष्टीकरण देते हुए कहा था, किसी ने मुझे बताया कि मेरे द्वारा की गई टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।”

कानूनी जगत की प्रतिक्रिया

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस गंभीर व्यावसायिक कदाचार के लिए वकील राकेश किशोर को प्रैक्टिस करने से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई देश के सर्वोच्च न्यायिक पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले इस कृत्य के जवाब में की गई है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मुख्य न्यायाधीश की अदालत में आज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। यह सोशल मीडिया में फैलाई जा रही गलत सूचनाओं का नतीजा है। उन्होंने आगे कहा कि चीफ जस्टिस की उदारता को संस्था की कमजोरी न समझा जाए।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर प्रभाव

यह घटना भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा के लिए एक गंभीर चुनौती है। धार्मिक भावनाओं के नाम पर न्यायाधीशों पर हमले का यह प्रयास न्याय व्यवस्था के लिए खतरनाक मिसाल है। यह दिखाता है कि किस प्रकार सोशल मीडिया पर फैलाई गई गलत सूचनाएं वास्तविक हिंसा को प्रेरित कर सकती हैं।

व्यापक चिंता का विषय

यह घटना केवल एक व्यक्तिगत हमला नहीं है बल्कि यह उस बढ़ते माहौल का प्रतिबिंब है जहां न्यायिक निर्णयों को धार्मिक चश्मे से देखा जा रहा है। यह प्रवृत्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा है और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए चुनौती बनती जा रही है।

चीफ जस्टिस गवई का संयमित व्यवहार और उदार दृष्टिकोण निश्चित रूप से प्रशंसनीय है, लेकिन यह घटना हमें याद दिलाती है कि न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए भी न्यायिक स्वतंत्रता को बनाए रखना आवश्यक है।

विकाश विश्वकर्मा

नमस्कार! मैं विकाश विश्वकर्मा हूँ, एक फ्रीलांस लेखक और ब्लॉगर। मेरी रुचि विभिन्न विषयों पर लिखने में है, जैसे कि प्रौद्योगिकी, यात्रा, और जीवनशैली। मैं अपने पाठकों को आकर्षक और जानकारीपूर्ण सामग्री प्रदान करने का प्रयास करता हूँ। मेरे लेखन में अनुभव और ज्ञान का मिश्रण होता है, जो पाठकों को नई दृष्टि और विचार प्रदान करता है। मुझे उम्मीद है कि मेरी सामग्री आपके लिए उपयोगी और रोचक होगी।
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