दीवाली हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा त्योहार है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इसका आयोजन अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में होता है, और यह सुख, समृद्धि, और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। लोग इस अवसर पर अपने घरों, दुकानों और कार्यालयों को रंग-बिरंगी लाइटों और सजावट के साथ सजाते हैं ताकि त्योहार का माहौल खुशनुमा हो।
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दीवाली की सजावट में बदलाव का महत्व
दीवाली के मौके पर घर की सजावट में थोड़ा बदलाव करके नया और ताजा लुक दिया जा सकता है। जैसे पारंपरिक दीयों के अलावा अब कई नए प्रकार के सजावटी लाइट्स, कैंडल्स, और पत्ते से बने गहने बाजार में उपलब्ध हैं, जो सजावट को आकर्षक बनाते हैं। धीरे-धीरे लोग अधिक इको-फ्रेंडली और टिकाऊ सजावट की ओर भी बढ़ रहे हैं, जैसे मिट्टी के दीये, प्राकृतिक फूलों के गजरे और पुनः उपयोग योग्य कागज़ के लैंटर्न।
रंगों और रोशनी का जादू
दीपावली पर रंगों और रोशनी का विशेष महत्व है। घर के बाहर और अंदर दीयों, लालटेन, और रंगीन लाइट स्ट्रिंग्स से सजावट की जाती है। इसके साथ ही रंगोली भी दीवाली की शान बढ़ाती है। आजकल रंगोली के लिए पारंपरिक आर्ट के साथ-साथ नए डिज़ाइन जैसे फूल, पत्ते और जीव-जंतुओं की आकृतियां भी लोकप्रिय हो रही हैं। दीवानों, कालीनों और फर्नीचर पर नया फोकस भी हो रहा है, जिससे वे पूजा गृह और बैठक कक्ष को और ज्यादा आकर्षक बनाते हैं।
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पर्यावरण के प्रति सजगता का बढ़ता रुझान
आज के समय में दीवाली की सजावट में पर्यावरण की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जा रहा है। लोग अब प्लास्टिक के बजाय प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल सामग्री को प्राथमिकता दे रहे हैं। कागज़ से बने लैंटर्न, मिट्टी के दीये, प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल बढ़ रहा है। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि पारंपरिक त्योहार को सच्चे अर्थों में जीवंत और साफ-सुथरा बनाता है। ऐसे सजावट आइटम जैसे कागज़ के दीये, फूलों की माला और कैंडल्स इस साल खासतौर पर लोकप्रिय हैं।
 
 
 







