7 सितंबर 2025 को रात 8:58 बजे से चंद्रग्रहण शुरू होगा, जो लगभग 1:25 बजे तक चलेगा। इस बार का चंद्रग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण है, जिसे लोग ‘ब्लड मून’ कहते हैं क्योंकि इस दौरान चंद्रमा लाल रंग में दिखाई देगा। यह खगोलीय घटना भारत के लगभग सभी हिस्सों से स्पष्ट दिखाई देगी। चंद्रग्रहण की कुल अवधि करीब 82 मिनट रहेगी, जो इस दशक का सबसे लंबा चंद्रग्रहण माना जा रहा है। इसके दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह डूब जाएगा और उसकी चमक फीकी पड़ जाएगी।
पितृपक्ष आरंभ और धार्मिक महत्व
भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि के साथ ही वर्ष 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत भी 7 सितंबर को हो रही है। पितृपक्ष वह पखवाड़ा होता है जब पूर्वजों की पूजा और श्राद्ध किये जाते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान पुण्य अत्यंत फलदायी होते हैं। पृथ्वी पर मानवों का ऋण देव, ऋषि और पितरों के प्रति माना गया है, जिसकी पूर्ति पितृपक्ष में करनी चाहिए।
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चंद्रग्रहण के दौरान और बाद में किए जाने वाले दान-पुण्य
ज्योतिषाचार्यों की मान्यताओं के अनुसार 7 सितंबर के चंद्रग्रहण के बाद सफेद वस्तुएं, अनाज, चांदी, गाय का दूध, काले तिल, जौ और गंगाजल दान करना शुभ होता है। चंद्रग्रहण काल में और विशेष रूप से ग्रहण के समाप्ति के बाद किए गए दान से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सफेद वस्तुओं का दान इसलिए शुभ माना जाता है क्योंकि चंद्रमा का रंग सफेद होता है।
 
 
 







