choose the perfect Ganesh Lakshmi idol for home- धनतेरस का पर्व हर साल दिवाली से पहले मनाया जाता है और इस दिन गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति खरीदना शुभ माना जाता है। पूजा के लिए मूर्ति का सही चयन घर में समृद्धि और खुशहाली लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस मौके पर विशेष रूप से अष्टधातु की मूर्तियां खरीदने की परंपरा भी प्रचलित है। अष्टधातु में आठ प्रकार की धातुएं मिलकर एक मजबूत और पवित्र मिश्र धातु बनती हैं, जो पूजा में विशेष शुभ मानी जाती हैं। धनतेरस पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय उनकी मुद्रा, धातु, और दूसरी विशेषताएं जानना आवश्यक होता है जो पूजा के प्रभाव को बढ़ाती हैं.
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अष्टधातु की मूर्ति की विशेषताएं और लाभ
अष्टधातु सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, और पारा से मिलकर बनती है। इस मिश्र धातु को पवित्र और आर्थिकी सकरात्मक माना जाता है। अष्टधातु की मूर्ति पहनने या पूजा में उपयोग करने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, और व्यवसाय में सफलता होती है। यह विभिन्न प्रकार के नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है और घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। विशेष रूप से धनतेरस और दिवाली के अवसर पर अष्टधातु की मूर्ति खरीदना शुभ माना जाता है क्योंकि यह आर्थिक समृद्धि लाने में सहायक होती है। अष्टधातु की मूर्तियों की पवित्रता प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में भी प्रमाणित है, इसलिए यह पूजा के लिए सर्वोत्तम विकल्प होती हैं.
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मूर्ति खरीदने के दौरान ध्यान में रखने योग्य बातें
गणेश की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि उनकी सूंड बाईं ओर मुड़ी हो, जिसे वाममुखी गणेश कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मूर्ति घर में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लेकर आती है। लक्ष्मी माता की मूर्ति ऐसी हो कि वह कमल के फूल पर बैठी हो और उनके हाथों से धन की वर्षा हो रही हो, जिससे घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। साथ ही, गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां अलग-अलग होनी चाहिए और उनके पैर के नीचे मूर्ति नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। मूर्ति को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल पर जगह सही बनाए रखनी चाहिए। पूजन से पहले मूर्ति को गंगाजल या शुद्ध जल से साफ़ करना भी शुभ होता है.






