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ED officer convicted for bribery case- पूर्व ED अधिकारी को 3 साल की जेल, 5.5 लाख का जुर्माना जानिए क्यों?

By: विकाश विश्वकर्मा

On: Friday, July 25, 2025 10:58 PM

पूर्व ED अधिकारी को 3 साल की जेल, 5.5 लाख का जुर्माना जानिए क्यों?
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एक चर्चित मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पूर्व अधिकारी को अपने पद का दुरुपयोग करने और एक शख्स से पांच लाख रुपये की घूस मांगने के आरोप में दोषी मानते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी पद पर बैठे किसी भी अधिकारी द्वारा निजी लाभ के लिए ऐसे कृत्य देश की न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करते हैं।

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शिकायत और जांच: प्रारंभिक कार्रवाई से ट्रायल तक

घटना की शुरुआत उस वक्त हुई जब शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि ईडी के तत्कालीन अधिकारी ने उनसे जांच में राहत देने का वादा कर पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने गहनता से जांच शुरू की और तकनीकी सबूत, कॉल रिकॉर्ड, भुगतान के लेन-देन के दस्तावेज और गवाहों के बयान एकत्र किए गए। अदालत में पेश चार्जशीट में यह प्रमाणित हुआ कि आरोपी ने न केवल अवैध धन की मांग की, बल्कि डरा-धमका कर शिकायतकर्ता को भुगतान के लिए बाध्य भी किया।

अदालत की कार्यवाही: गवाहों और सबूतों की पड़ताल

मुकदमे के दौरान सीबीआई ने नौ प्रमुख गवाहों के बयान प्रस्तुत किए, जिनमें शिकायतकर्ता, जांच अधिकारी और स्वतंत्र गवाह शामिल थे। डिजिटल ट्रांजेक्शन के इलेक्ट्रोनिक रिकार्ड, बैंक स्टेटमेंट और मोबाइल डेटा को भी कोर्ट के सामने रखा गया। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष ने अपनी दलीलें मजबूत तथ्यों और गवाहों के सहारे स्थापित कीं, और आरोपी की ओर से पेश सफाई संतोषजनक नहीं थी।

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दंड निर्धारण: भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती

विशेष अदालत ने सजा सुनाते समय यह स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वतखोरी गंभीर अपराध है, जिसमें न्यूनतम तीन साल और अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है। आरोपी का पूर्व सेवा रिकॉर्ड भी न्यायालय ने देखा, लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोई विशेष राहत नहीं दी गई। अदालत ने साथ ही पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो राज्य को मिलेगा।

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया: संदेश साफ है

कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और जनता का भरोसा बढ़ेगा। उन्होंने टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में त्वरित और कड़ी कार्रवाई संदेश देती है कि कानून के सामने सभी समान हैं, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों।

विकाश विश्वकर्मा

नमस्कार! मैं विकाश विश्वकर्मा हूँ, एक फ्रीलांस लेखक और ब्लॉगर। मेरी रुचि विभिन्न विषयों पर लिखने में है, जैसे कि प्रौद्योगिकी, यात्रा, और जीवनशैली। मैं अपने पाठकों को आकर्षक और जानकारीपूर्ण सामग्री प्रदान करने का प्रयास करता हूँ। मेरे लेखन में अनुभव और ज्ञान का मिश्रण होता है, जो पाठकों को नई दृष्टि और विचार प्रदान करता है। मुझे उम्मीद है कि मेरी सामग्री आपके लिए उपयोगी और रोचक होगी।
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