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Bank CEO transfers-MP में बैंक CEO ने मंत्री की नहीं मानी बात तो कर दिया ट्रान्सफर, हाई कोर्ट ने लगायी फटकार।

By: विकाश विश्वकर्मा

On: Monday, August 4, 2025 5:23 PM

Bank CEO transfers
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मध्य प्रदेश में बैंक क्लर्क के तबादले का मामूली मामला अब बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दे का रूप ले चुका है। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए एक बैंक क्लर्क का तबादला किया था। इसी वजह से महिला विधायक नाराज हो गईं और उन्होंने फोन कर डांट लगाई। इस घटना से न केवल बैंकिंग प्रणाली में राजनीतिक हस्तक्षेप की हकीकत उजागर हुई, बल्कि दबाव की संस्कृति पर भी सवाल उठे।

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बैंक प्रशासन पर बढ़ता राजनीतिक दबाव

मामले के मुताबिक, बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नियमानुसार क्लर्क का तबादला किया था। लेकिन महिला विधायक की नाराजगी के बाद उन्होंने अधिकारी को फोन करके बिना सूचना दिए तबादला करने पर नाराजगी जताई। अधिकारियों के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया नियमों के तहत की गई थी, मगर राजनीतिक दबाव की वजह से मामला तूल पकड़ गया।

अदालत की सख्त टिप्पणी

जब मामला कोर्ट पहुंचा तो उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने माना कि विधायक की मांग नकारने पर बैंक के सीईओ का निलंबन अवैध था और इससे लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक कार्य में राजनैतिक हस्तक्षेप गलत है और इससे कर्मचारी वर्ग पर अनचाहा दबाव बनता है।

तबादला नीति पर उठ रहे सवाल

इस घटना के बाद राज्य में लागू तबादला नीति भी सवालों के घेरे में आ गई है। हाल ही में राज्य सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए नई नीति जारी की है, जिसमें पारदर्शिता और राजनीतिक हस्तक्षेप रोकने के दावे किए गए हैं। पर इस प्रकरण ने दिखा दिया कि जमीनी हकीकत में इन दावों पर कितना अमल हो पाता है।

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कर्मचारी संगठन और आम जनता की प्रतिक्रिया

इस मामले को लेकर कर्मचारी संगठनों और आम जनता में आक्रोश जाहिर हो रहा है। कर्मचारी संगठन मांग कर रहे हैं कि स्थानांतरण और निलंबन के मामलों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए ताकि राजनीतिक दबाव में फैसले न हों। सोशल मीडिया और जन मंचों पर भी यह विषय चर्चा का विषय बना हुआ है।

प्रशासनिक स्वायत्तता की मांग

विशेषज्ञों का मानना है कि कर्मचारियों के स्थानांतरण या दंड प्रयासों में निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए ताकि अधिकारी स्वतंत्र रूप से नियमानुसार फैसले ले सकें। कोर्ट का स्पष्ट निर्देश भी आया है कि प्रशासनिक कार्य में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए, इससे संस्था का लोकतांत्रिक ढांचा मजबूत होता है।

विकाश विश्वकर्मा

नमस्कार! मैं विकाश विश्वकर्मा हूँ, एक फ्रीलांस लेखक और ब्लॉगर। मेरी रुचि विभिन्न विषयों पर लिखने में है, जैसे कि प्रौद्योगिकी, यात्रा, और जीवनशैली। मैं अपने पाठकों को आकर्षक और जानकारीपूर्ण सामग्री प्रदान करने का प्रयास करता हूँ। मेरे लेखन में अनुभव और ज्ञान का मिश्रण होता है, जो पाठकों को नई दृष्टि और विचार प्रदान करता है। मुझे उम्मीद है कि मेरी सामग्री आपके लिए उपयोगी और रोचक होगी।
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