जापान को दुनियाभर में दीर्घायु लोगों और स्वस्थ जीवनशैली के लिए जाना जाता है, लेकिन आज यह देश जनसंख्या संकट की दहलीज पर खड़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में जापान की कुल जनसंख्या लगभग 12 करोड़ 3 लाख रही, जिसमें से 9 लाख की गिरावट केवल पिछले एक साल में दर्ज की गई। यह लगातार 16वां वर्ष है जब आबादी में कमी आई है और इसे अब तक की सबसे बड़ी वार्षिक गिरावट माना गया है।
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बुजुर्गों की बढ़ती संख्या का असर
जापान में 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या 3 करोड़ 62 लाख 50 हजार के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है, जो कुल आबादी का लगभग 29.3 प्रतिशत हिस्सा है। “रेस्पेक्ट फॉर द एज्ड डे” पर जारी किए गए सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2040 तक यह अनुपात 34.8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। बुजुर्गों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि एक-तिहाई आबादी वृद्ध वर्ग में शामिल हो गई है, जबकि 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का अनुपात पहली बार 10 प्रतिशत के पार चला गया है।
सरकार की पहल और विदेशी नागरिकों की भूमिका
सरकार ने हाल में बच्चों की देखभाल, माता-पिता को अवकाश, डिजिटल नोमाड वीजा और विदेशी नागरिकों को आकर्षित करने जैसी नीतियां लागू की हैं। जनवरी 2025 तक जापान में 36 लाख विदेशी निवासी दर्ज किए गए, जो कुल जनसंख्या का लगभग 3 प्रतिशत हैं। हालांकि, इमिग्रेशन का मुद्दा अब भी जापान में राजनीतिक रूप से संवेदनशील है।
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गाँव-शहर की खाई और क्षेत्रीय असंतुलन
ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या में कमी सबसे ज्यादा दिखाई दे रही है। नौजवान बेहतर अवसरों के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचा कमजोर हो रहा है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में घर खाली पड़े हैं और आवश्यक सुविधाओं का अभाव है।
 
 
 







