जम्मू में रहने वाली रक्षंदा राशिद ने करीब 35 साल पहले भारत के नागरिक शेख जहूर अहमद से शादी की थी। वे वहीं बस गईं और अपना परिवार बनाया। उनकी ज़िंदगी और रिश्ते पूरी तरह भारतीय समाज के हिस्से बन चुके थे।
Multibagger stocks in Indian- 5 साल में 10,000% मल्टीबैगर कंपनी का 3 गुना से ज्यादा मुनाफा!
पहलगाम हमले के बाद परिस्थितियाँ बदल गईं
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने सुरक्षा के कड़े कदम उठाए। सरकार ने कई पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया। रक्षंदा का नाम भी उस सूची में शामिल था, जिनसे देश छोड़ने को कहा गया।
अदालत में मांगी गई सहानुभूतिपूर्ण सुनवाई
रक्षंदा के परिवार ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। बेटी ने बताया कि माँ यहाँ बहुत सालों से वैध रूप से रह रही हैं और उनका लंबी अवधि का वीजा भी था। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि रक्षंदा को परिवार के पास वापस आने की जगह दी जाए।
पहचान और परिवार पर पड़ा असर
रक्षंदा की कहानी दिखाती है कि कैसे राजनीतिक फैसलों का असर व्यक्तिगत रिश्तों और पहचान पर पड़ता है। उम्रदराज़ और बीमार रक्षंदा के पास पाकिस्तान में कोई सहारा नहीं था, जिससे उनकी स्थिति और भी कठिन हो गई।
मानवीय पहलू पर भी ध्यान दिया गया
सरकार ने पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा कारणों से पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द किए थे। हालांकि, रक्षंदा के मामले में अदालत और सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए विशेष अनुमति दी ताकि वे परिवार के पास लौट सकें।
 
 
 







