mp news live today latest updates-मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है। सोमवार दोपहर जिला अस्पताल परिसर में सागर लोकायुक्त टीम ने नेत्र सहायक उमेश जैन को बीस हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
रिटायरमेंट के बाद भी नहीं मिली राहत
यह मामला उस समय की पीड़ा को दर्शाता है जब एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को अपने ही पैसों के लिए रिश्वत देने पर मजबूर किया जाता है। शिकायतकर्ता रमेश चंद्र नायक, पहाड़ी बुजुर्ग के निवासी और स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के पद पर सेवामुक्त, अपने रिटायरमेंट फंड का भुगतान नहीं मिलने से परेशान थे। उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः उन्हें नेत्र सहायक से मिलने की सलाह दी गई।
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रिश्वत की शर्मनाक मांग
उमेश जैन ने रिटायरमेंट फंड जल्दी जारी कराने के नाम पर तीस हजार रुपये की रिश्वत मांगी, जो बाद में अट्ठाईस हजार रुपये पर तय हुई। पहली किश्त के रूप में बीस हजार रुपये देने पर हमले की साजिश रची गई।
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लोकायुक्त की सटीक रणनीति
रमेश चंद्र नायक ने लोकायुक्त कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कराई और टीम ने सुनियोजित पांच-दिवसीय जांच शुरू की। सोमवार दोपहर जब रिटायर्ड कर्मचारी ने तय राशि की पहली किस्त के रूप में नोट सौंपे, तब लोकायुक्त टीम ने तुरंत रेड कर उमेश जैन को गिरफ्तार किया।
अस्पताल में हड़कंप
इस कार्रवाई के दौरान जिला अस्पताल में अफरातफरी मच गई। कई अधिकारी और कर्मचारी गायब हो गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार का एक व्यापक जाल बुना गया था।
संदिग्ध इतिहास
स्थापना बाबू संतोष अंबेडकर, जो मामले में संलिप्त थे, पर पहले भी कई भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। उनके खिलाफ पहले विभागीय जांच हुई थी, लेकिन न तो उन्हें चुका मिला और न ही शिकायतों पर कोई कार्रवाई।
कानूनी कदम और सुधार की दिशा
लोकायुक्त ने उमेश जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश सरकार की शून्य सहनशीलता नीति का परिचायक है। साथ ही, यह घटना स्वास्थ्य विभाग में व्यवस्थागत सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
उम्मीदों की किरण
इस सफल कार्रवाई से यह संदेश गया है कि लोकायुक्त किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी। वह साहसी पीड़ितों के साथ खड़ी है और भ्रष्ट अधिकारियों को उनके कुकर्मों का फल भुगतना होगा। न्याय में विलंब हो सकता है, पर अंधेरा नहीं रहेगा।
 
 
 







