हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व अत्यंत श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है। मां कात्यायनी देवी शक्ति, साहस और विजय की प्रतीक मानी जाती हैं। उन्हें महिषासुर मर्दनी के रूप में भी पूजा जाता है क्योंकि उन्होंने महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। छठे दिन की पूजा करने से भक्तों के जीवन में शत्रुओं पर विजय और सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
पूजा विधि: मां कात्यायनी की आराधना
नवरात्रि के छठे दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें। मां कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उनके चरणों में पुष्प अर्पित करें और पीला रंग के वस्त्र उन्हें पहनाएं क्योंकि पीला रंग मां को विशेष प्रिय है। पूजा में रोली, चंदन, कुमकुम, इलायची समेत श्रृंगार सामग्री और मिठाई व फल अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर भक्ति पूर्वक मां के मंत्रों का जाप करें। अंत में मां की आरती उतारकर प्रसाद वितरित करें।
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मां कात्यायनी के मंत्र और भोग
मां कात्यायनी के प्रमुख मंत्रों में “कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी” मंत्र का जाप विशेष महत्व रखता है। इसके अलावा “या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता” स्तुति मंत्र से मां की महिमा का बखान किया जाता है। मां को शहद का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके साथ ही कात्यायनी मां को हलवा, मिठाई, गुड़ या मीठे पान का भी भोग लगाया जा सकता है। भोग अर्पित करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि का संचार होता है।
 
 
 







