शुक्रवार को अडानी समूह ने अपने एग्री बिजनेस से जुड़ी कंपनी में बची हुई 10.42 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी। यह सौदा 3,732 करोड़ रुपये में हुआ, जिससे समूह इस कंपनी से पूरी तरह बाहर हो गया है। इस बड़े कारोबारी फैसले से अब अडानी समूह का ध्यान मुख्य रूप से अपने कोर सेक्टर यानी इंफ्रास्ट्रक्चर, एयरपोर्ट, ग्रीन हाइड्रोजन, पीवीसी और कॉपर प्रोजेक्ट्स पर केंद्रित होने जा रहा है।
प्रमुख निवेशकों की नई हिस्सेदारी
इस सौदे में दुबई की एक अग्रणी निवेश कंपनी ने लगभग 8.5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी। इसके अतिरिक्त कई संस्थागत निवेशकों और म्यूचुअल फंड हाउसों ने भी इस बिक्री में अपनी भागीदारी की। नए निवेशकों के आगमन से कंपनी की संरचना में बड़ा बदलाव आया है और अब यह कंपनी भारत में खाद्य तेल और अन्य उत्पादों के वितरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ओर अग्रसर है।
ब्लॉक डील से बाहर हुआ अडानी ग्रुप
अडानी ग्रुप ने शुक्रवार को एक ही दिन में कई हिस्सों में कंपनी के शेयर बाजार में अपने सारे शेयर बेचकर यह डील पूरी की। इसका औसत मूल्य करीब 275 रुपये प्रति शेयर रहा। इस सौदे के पूरा होते ही अडानी समूह का इस कंपनी में कोई भी हिस्सा शेष नहीं बचा। इससे पहले भी अडानी समूह ने गुरुवार को अपनी अन्य हिस्सेदारी बेच दी थी, जिससे यह अब पूरी तरह एग्री बिजनेस से बाहर हो चुका है।
शेयर बाजार में हलचल
इस समाचार के बाद कंपनी के शेयरों में लगभग 1.31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और शेयर 274.60 रुपये की कीमत पर बंद हुआ। बाजार के जानकारों के मुताबिक, इतने बड़े समूह के बाहर निकलने से निवेशकों में थोड़ी सतर्कता जरूर देखी गई है, लेकिन नया प्रबंधन सक्रियता के साथ कंपनी का संचालन जारी रखेगा।
आर्थिक स्थिति और भविष्य की योजना
बीते वित्त वर्ष में कंपनी ने 1,225 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा और करीब 63,910 करोड़ रुपये की कुल आय अर्जित की थी। कंपनी अपने “फॉर्च्यून” ब्रांड नाम से देश भर में खाद्य तेल और दूसरे प्रोडक्ट्स बेचती है, जो भारतीय घरों में खासा लोकप्रिय है। अब कंपनी का नेतृत्व नया प्रबंधन करेगा, ऐसे में कारोबार के विस्तार और उपभोक्ताओं को और बेहतर सेवाएँ मिलने की संभावनाएँ मजबूत हो गई हैं।