पटना के बहुचर्चित गोपाल खेमका हत्याकांड ने बिहार की राजधानी को झकझोर दिया था। 4 जुलाई की रात, जब शहर के बड़े कारोबारी गोपाल खेमका अपने घर लौट रहे थे, तभी उनके घर के गेट पर ही उन्हें गोलियों से भून दिया गया। इस निर्मम हत्या के बाद पुलिस महकमा हरकत में आया और जांच की रफ्तार तेज़ कर दी गई। राजनीतिक गलियारों में भी इस हत्याकांड की गूंज सुनाई देने लगी, जिससे प्रशासन पर दबाव और बढ़ गया।
मुठभेड़ की रात
जांच के दौरान पुलिस ने मुख्य शूटर उमेश यादव को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उमेश ने एक और नाम उगला—राजा उर्फ विकास। पुलिस को सूचना मिली कि राजा मालसलामी इलाके में छिपा है। सोमवार रात पुलिस की एक टीम राजा को पकड़ने पहुंची, तभी मुठभेड़ शुरू हो गई। जवाबी कार्रवाई में राजा की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, राजा पर हथियार सप्लाई करने का भी संदेह है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है। मंगलवार शाम को डीजीपी विनय कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी देने की घोषणा की है।
मां की ममता और बेबसी
एनकाउंटर की खबर जैसे ही राजा के घर पहुंची, वहां कोहराम मच गया। राजा की मां शांति देवी बेसुध होकर गलियों में अपने बेटे को खोजती रहीं। उनकी आंखों में बेटे के लिए आस और पुलिस के लिए सवाल दोनों थे। शांति देवी का कहना था, “रात साढ़े 9 बजे मैंने राजा को खाना खिलाया था, साढ़े 10 बजे वह घर से निकला था। वह निर्दोष था, उसको ढूंढ़ कर लाइए। मेरा बेटा तो चेन्नई में काम करता था।” बेटे की मौत की खबर सुनते ही शांति देवी बेहोश हो गईं। मां की यह बेबसी पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बन गई।
पुलिसिया कार्रवाई पर उठे सवाल
राजा के परिजन और कुछ स्थानीय लोग पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि राजा बेकसूर था और पुलिस ने जल्दबाजी में एनकाउंटर कर दिया। हालांकि, पुलिस का दावा है कि राजा के पास से हथियार बरामद हुए हैं और मुठभेड़ के दौरान उसने पुलिस पर फायरिंग की थी। पुलिस ने इस पूरे मामले में पारदर्शिता बरतने का भरोसा दिलाया है और कहा है कि जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।
गिरफ़्तारी और साजिश का खुलासा
इस हत्याकांड में अब तक दो मुख्य आरोपी—शूटर उमेश यादव और साजिशकर्ता अशोक साहू—को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस का कहना है कि पूछताछ में कई अहम सुराग मिले हैं, जिनसे हत्या की साजिश और उसके पीछे के कारणों का खुलासा हो सकता है। पुलिस की जांच टीम लगातार अन्य संदिग्धों की तलाश में जुटी है और इस केस को जल्द सुलझाने का दावा कर रही है।
राजनीतिक हलचल और कानून-व्यवस्था पर बहस
गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक दलों ने इस घटना को लेकर सरकार को घेरा है और अपराध नियंत्रण में विफलता का आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि राजधानी में इस तरह की घटनाएं प्रशासन की नाकामी को उजागर करती हैं। वहीं, सरकार ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई को अपनी उपलब्धि बताया है और भरोसा दिलाया है कि अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।
एनकाउंटर की परंपरा और मानवाधिकार
बिहार समेत देश के कई राज्यों में पुलिस एनकाउंटर की घटनाएं नई नहीं हैं। हर बार ऐसे मामलों में दो पक्ष उभरते हैं—एक, जो इसे अपराध नियंत्रण का कारगर तरीका मानते हैं; दूसरा, जो इसे न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन और मानवाधिकारों का हनन मानते हैं। राजा की मौत के बाद भी यही बहस तेज हो गई है। क्या पुलिस का यह कदम सही था? क्या राजा सचमुच अपराधी था या निर्दोष? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में जांच और न्यायिक प्रक्रिया से मिलेंगे।
समाज में भय और असमंजस
इस घटना के बाद पटना के आम नागरिकों में भय और असमंजस का माहौल है। लोग सोचने को मजबूर हैं कि अगर राजधानी में दिनदहाड़े हत्या हो सकती है और फिर आरोपी की मुठभेड़ में मौत हो जाती है, तो आम आदमी की सुरक्षा किसके भरोसे है? खासकर उस परिवार के लिए, जिसकी आंखों के सामने उनका बेटा ‘अपराधी’ घोषित कर दिया गया और फिर उसकी लाश घर लौटी।
 
 
 







