Pakistan sends back pilgrims going to Nankana Sahib- गुरु नानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व के अवसर पर सिख तीर्थयात्रियों के साथ यात्रा कर रहे कई हिंदू श्रद्धालुओं को पाकिस्तान में प्रवेश से रोक दिया गया। यह घटना वाघा बॉर्डर पर हुई, जहां हिंदू श्रद्धालुओं ने सभी आव्रजन औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी पाकिस्तान में ननकाना साहिब गुरुद्वारे तक जाने से मना कर दिया गया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बस में वे लोग ही जा सकते हैं जिनके पास ‘सिख’ धर्म की पहचान के साथ यात्रा दस्तावेज हों। इस प्रकार हिंदुओं को सिख जत्थे के साथ यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे धार्मिक भेदभाव की समस्या फिर से उभरकर सामने आई है।
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तीर्थयात्रियों की निराशा और वे अनुभव
दिल्ली और लखनऊ से आए श्रद्धालु अमरचंद सहित कई परिवारों का कहना है कि वे पूरा आवेदन, पासपोर्ट, वीजा, और टिकट लेकर सीमा पार कर चुके थे, फिर भी उन्हें अचानक रोक दिया गया। अमरचंद ने बताया कि वे अपने परिवार के सात सदस्यों के साथ गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थलों पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए जा रहे थे, लेकिन अंतिम क्षण में उन्हें वापस लौटना पड़ा। यह स्थिति तीर्थयात्रियों के लिए अत्यंत निराशाजनक और अपमानजनक थी क्योंकि वे धार्मिक आस्था के आधार पर समान सम्मान की उम्मीद करते थे।
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पाकिस्तान की नीति और भारत-पाक रिश्तों में तनाव
पाकिस्तान सरकार ने कुल 2100 से अधिक वीजा जारी किए, लेकिन करीब 300 सिख व हिंदू तीर्थयात्रियों को प्रवेश से वंचित कर दिया गया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह निर्णय पाकिस्तान के संप्रभु अधिकार क्षेत्र में आता है। वे यह भी मानते हैं कि जिन लोगों को रोका गया है, वे तीर्थयात्रा के बजाय परिचितों से मिलने के लिए जाना चाहते थे। 2025 में भारत-पाक सीमा पर बढ़ा तनाव और हालिया आतंकवादी हमलों ने संबंधों को और जटिल बना दिया है। इन हालातों में पाकिस्तान की इस भेदभावपूर्ण नीति ने दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक संवाद को प्रभावित किया है।







